भोपालमध्य प्रदेश

भोपाल : 8 साल की बच्ची ने बापू को दी थीं अपनी कान की बालियां

भोपाल :शहर के बीचो बीच स्थित मोढ़ मांडलिया वणिक गुजराती समाज की ऐतिहासिक बगिया यूं तो साधारण दिखाई देती है, लेकिन देश की जंग-ए-आजादी में इस जगह की खासी अहमियत है। यह वही स्थान है जहां महात्मा गांधी ने 10 सितंबर 1929 को आजादी के दीवानों की बैठक ली थी। बैठक में जब जंग-ए-आजादी के लिए आर्थिक सहयोग की बात उठी तो एक आठ साल की बालिका शांति देवी अपनी जगह से उठी और बापू को अपनी कान की बालियां सौंप दीं। इसका असर ये हुआ की थोड़ी ही देर में लोगों ने पैसों से एक पूरी थैली भर दी और बापू को दे दी। शांति देवी आज भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के तौर पर जानी जाती हैं।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भोपाल में नवाबी शासन था और जंग-ए-आजादी की सारी गतिविधियों का केंद्र मंदिर और धर्मशालाएं थीं। गुजराती समाज की बगिया भी उन स्थानों में से एक थी, जहां आज धर्मशाला है। लेकिन उस स्थान को आज भी खाली छोड़ा गया है जहां बापू ने लोगों के साथ बैठक की थी। 10 सितंबर 1996 को यहां स्मृति पट्टिका भी लगावाई गई, ताकि पीढ़ियां प्रेरणा मिले।

हरिजनों को पहली बार कराया था मंदिर में प्रवेश

मारवाड़ी रोड स्थित बिहारी जी के मंदिर में आज सैकड़ों श्रद्धालु पूजा करने पहुंचते हैं। लेकिन एक समय था, जब इस मंदिर में दलितों के आने पर प्रतिबंध था। बगिया में गांधी जी के आने के बाद हरिजनों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाया गया और भगवान की पूजा कराई गई। क्षत्रिय स्वर्णकार समाज ने हरिजनों के लिए संघर्ष किया था।