हिन्दी विश्व और भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित था प्रो शर्मा का विशिष्ट आलेख
उज्जैन। भारत सरकार, विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से मॉरीशस में आयोजित ग्यारहवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में समालोचक और विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने हिन्दी विश्व और भारतीय संस्कृति: नूतन परिप्रेक्ष्य पर एकाग्र व्याख्यान दिया। 18 से 20 अगस्त 2018 तक आयोजित इस सम्मेलन के आलेख प्रस्तुति सत्र की अध्यक्षता प्रो शर्मा ने करते हुए कहा कि हिंदी और भारतीय संस्कृति मॉरीशस, सूरीनाम, फ़िजी, गुयाना जैसे देशों में कठिन संघर्षों के बीच – पली बढ़ी है, उनका संघर्ष काल अब बीत चुका है। इन देशों में भारतवंशी बड़ी संख्या में हैं, वहीं सामाजिक – राजनैतिक दृष्टि से प्रभावी भी हैं। समस्या यह है कि जिस तरह भारत में बसा प्रभुत्वशाली वर्ग पश्चिमाभिमुख होने को तत्पर है, लगभग वही स्थिति इन देशों में दिखाई दे रही है। नए दौर की चुनौतियाँ जैसी भारत में है, वैसी वहाँ भी है, जैसे आत्महीनता, कथित गुलाम मानसिकता, आधुनिक सभ्यता के दबाव, पराई भाषा और संस्कृति के प्रति अविचारित आसक्ति आदि। इनसे मुक्ति की राह भारतीय संस्कृति और हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के प्रति गहरे स्वाभिमान और व्यापक व्यवहार से ही संभव है।हिंदी विश्व की स्वीकार्यता को भारतीय संस्कृति और अस्मिता के साथ जोड़कर देखने के साथ ही उनके बीच मौजूद जैविक रिश्ते को और सुदृढ़ बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को प्रतिष्ठा दिलाना महज़ राजनैतिक प्रश्न नहीं है, यह विश्व मंच पर सांस्कृतिक बहुलता और वैविध्य को प्रतिनिधित्व दिलाने की दृष्टि से बेहद जरूरी है। यूएनओ में वर्तमान में जो भाषाएँ आधिकारिक बनी हुई हैं, उनके माध्यम से एशिया की बहुत बड़ी जनसंख्या और समृद्ध संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है, इसकी पूर्ति यूएनओ में हिंदी की स्वीकार्यता से ही संभव होगी। इस दिशा में भारतीय मिशन और दूतावासों की सक्रियता से यूएन में हिंदी की मान्यता के लिए जरूरी समर्थन जुटाने में सरकार के प्रयासों को समर्थ आधार मिल सकेगा।
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी सभाकक्ष में सम्पन्न इस सत्र में दुनिया के लगभग दस देशों के पचहत्तर से अधिक मनीषियों, अध्येताओं और अधिकारियों ने आलेख प्रस्तुत किए। मॉरीशस में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन 18 अगस्त को मॉरीशस के मान. प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ तथा विदेश मंत्री, भारत सरकार मान. श्रीमती सुषमा स्वराज द्वारा किया गया।
उल्लेखनीय है कि विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजनप्रत्येक चार वर्षों में दुनिया के अलग – अलग हिस्सों में किया जाता है। भोपाल में 2015 में आयोजित दसवेंविश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रो शर्मा ने हिन्दी पत्रकारिता और जनसंचार : बदलते भाषिक आयाम और कारक तत्त्व पर व्याख्यान दिया था। प्रो शर्मा पूर्व में 2013 में बैंकॉक, थाईलैंड एवं 2017 में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं संगोष्ठियों में विशेष व्याख्यान और आलेख प्रस्तुत करने के साथ ही विश्व स्तर के अनेक सम्मानों से अलंकृत हो चुके हैं।
यह जानकारी राजभाषा संघर्ष समिति, उज्जैन के संयोजक डॉ अनिल जूनवाल ने दी।