भोपाल। हबीबगंज से नई दिल्ली के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस के कोच की अंदरूनी बनावट अंदर से घर के कमरे जैसी होगी। यात्रियों को मुफ्त वाईफाई सुविधा मिलेगी। गेट स्वचलित होंगे, जिन्हें खोलने व बंद करने की जरूरत नहीं होगी। मनोरंजन के लिए सभी कोच में एलईडी लगी होंगी। यह सुविधाएं जनवरी में ट्रेन को देश का पहला स्वदेशी रैक मिलने के बाद मिलने लगेंगी।
शताब्दी में अभी एचएचबी कोच (जर्मन कंपनी के लिंक हॉफमैन बुश की सहयोग से तैयार कोच) लगे हैं। ये जनवरी से हट जाएंगे और शताब्दी को मेक इन इंडिया योजना के तहत इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्न्ई में तैयार हो रहे पहले स्वदेशी रैक मिलेंगे। ये कोच आपस में इंटरकनेक्टेड होंगे। सीटों के बीच अधिक गेप होगा, कोच में बड़े कांच लगे होंगे।
जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली सिस्टम होगा, जो प्रत्येक स्टेशनों की जानकारी डिस्प्ले पर देगा। इनमें यात्रियों को मुफ्त वाईफाई और एलईडी की सुविधा होगी। वहीं वैक्यूम बायो टॉयलेट होंगे। कोच के भीतर ही दिव्यांग यात्रियों के लिए व्हीलचेयर रखीं होंगी। यात्री जरूरत के हिसाब से सामान लेकर चल सकेंगे।
ये होगी रैक की खासियत
– इंजन अलग से नहीं लगेगा, बल्कि कोच के दोनों तरफ ड्राइविंग कैबिन होगा। प्रत्येक कोच बिजली से ऊर्जा पैदा कर चलने में सक्षम होगा।
– इस रैक को अधिकतम 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चला सकेंगे।
– कोचों की अंदरूनी बनावट स्टील की होगी, जो स्क्रू रहित होगी। हादसा होता भी है तो यात्रियों को कम चोटें आएंगी।
– सेंटर बफर कपलर लगे होंगे, जिससे हादसे के दौरान कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे।
अभी यह है स्वदेशी रैक की स्थिति
मेक इन इंडिया योजना के तहत पहले स्वदेशी रैक चेन्न्ई में सितंबर के आखिरी तक तैयार हो जाएंगे। कोचों का अभी 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। इन्हें टी-18 नाम दिया है। ये अपनी तरह के पहले स्वदेशी रैक होंगे। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो हबीबगंज-नई दिल्ली शताब्दी को सबसे पहले ये रैक मिलेंगे। हालांकि चुनावी साल है। ऐसे में स्वदेशी रैकों पर प्रत्येक जोन के जनप्रतिनिधियों की नजर है। ऐसे में आखिरी समय में कुछ बदलाव भी हो सकता है।
शताब्दी को पहले मिलेंगे रैक
स्वदेशी रैक दिसंबर के आखिरी तक तैयार हो जाएंगे। संभावना है कि पहला रैक हबीबगंज-नई दिल्ली शताब्दी को ही मिले। बोर्ड स्तर पर इसको लेकर चर्चा हुई है। ऐनवक्त पर बदलाव भी हो सकता है।