नई दिल्ली। रेलवे की फ्लेक्सी किराया स्कीम में संशोधन होगा। रेल मंत्रालय ने इस बारे में मन बना लिया है। शीघ्र ही इसका एलान किया जाएगा। माना जाता है कि संशोधित स्कीम में कुछ कम लोकप्रिय प्रीमियम ट्रेनों के लिए यह स्कीम पूरी तरह बंद हो जाएगी, जबकि अधिक लोकप्रिय प्रीमियम ट्रेनों में स्कीम को “हमसफर” की तर्ज पर लागू किया जाएगा।
पहले किया 540 करोड़ कीज्यादा कमाई का दावा
-शुरुआतमें रेलवे ने स्कीम को सफल बताकर 85 हजार यात्रियों द्वारा लाभ उठाने का दावा किया।
-कहा कि सितंबर, 2016 से जून, 2017 के बीच स्कीम से रेलवे को 540 करोड़ रुपए की ज्यादा कमाई हुई।
कैग ने कहा, 7 लाख यात्री घटे
-पिछले माह आई कैग की रिपोर्ट में रेलवे की ज्यादा कमाई के दावे की हवा निकाल दी।
-रिपोर्ट के मुताबिक 9 सितंबर, 2016 से 31 जुलाई, 2017 के बीच फ्लेक्सी किराए के कारण प्रीमियम ट्रेनों में सात लाख कम यात्री कम हो गए।
-रेलवे की खिंचाई करते हुए कैग ने कहा फ्लेक्सी किराए से विमान से सफर ट्रेन के मुकाबले सस्ता हो गया।
हो गया था भूल का अहसास
कैग की रिपोर्ट तो इस साल आई है, लेकिन रेलवे को अपनी भूल का अहसास पिछले साल ही हो गया था। तभी तो उसने दिसंबर 2017 में स्कीम की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था, जिसने स्कीम में संशोधन की सिफारिश की थी। लेकिन इस पर फैसले को टाला जाता रहा। अब जबकि चुनावों की सुगबुगाहट तेज है, अचानक समिति की रिपोर्ट को लागू करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड ने रिपोर्ट मंजूर कर रेलमंत्री पीयूष गोयल को भेज दी है। और गोयल इस पर लोगों की राय ले रहे है। शीघ्र ही वे संशोधित फ्लेक्सी स्कीम की घोषणा कर सकते हैं।
शुरुआत से ही हुई आलोचना
-फ्लेक्सी किराया स्कीम 9 सितंबर, 2016 से राजधानी, शताब्दी, दूरंतो ट्रेनों में लागू की गई। तब से आलोचना हो रही थी।
-इसमें ट्रेन की शुरू की 10 प्रतिशत बर्थ/सीट सामान्य किराए पर बेची जाती हैं।
-उसके बाद प्रत्येक 10 प्रतिशत बर्थ/सीट के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त किराया वसूला जाता है।
-किराया बढ़ते-बढ़ते अधिकतम 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
-यानी आखिरी 10 प्रतिशत बर्थ/सीटों के लिए डेढ़ गुना किराया देना पड़ता है।
“हमसफर” में यह है व्यवस्था
-जब थर्ड एसी वाली “हमसफर” प्रीमियम ट्रेनें शुरू हुईं तो रेलवे ने फ्लेक्सी फेयर का नया तरीका निकाला।
-इसमें शुरुआती 50 फीसदी बर्थ/सीट (तत्काल कोटा छोड़कर) सामान्य से 15 फीसदी अधिक किराए पर मिलती हैं।
-इसके बाद की 50 फीसदी बर्थ/सीटें 10-10 प्रतिशत के अंतराल पर किराए में क्रमशः 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ आवंटित की जाती हैं।
-यह मॉडल भी पसंद नहीं आया, क्योंकि अंतिम 10 फीसदी बर्थ सामान्य थर्ड एसी के मुकाबले डेढ़ गुना से भी ज्यादा महंगी हो जाती हैं।