भोपालमध्य प्रदेश

मप्र पैसा नहीं खर्च पाया तो केंद्र सरकार ने रोके स्मार्ट सिटी के 900 करोड़ रुपए

भोपाल। मध्‍यप्रदेश में बन रही 7 स्मार्ट सिटी का काम कछुए की चाल की तरह चल रहा है। हालात यह है कि ये स्मार्ट सिटी बीते चार साल में 1900 में से सिर्फ 484 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई हैं। लिहाजा इस धीमी रफ्तार को देखते हुए केंद्र ने अपने हिस्से के 900 करोड़ रुपए जारी करने से इंकार कर दिया है। केंद्र ने कहा है कि पहले जारी की गई 75 प्रतिशत राशि खर्च की जाए, उसके बाद ही पैसा मिलेगा।

राज्य ने भी नहीं दिया पूरा बजट

राज्य सरकार ने भी स्मार्ट सिटी के लिए अपनी तरफ से पूरा बजट नहीं दिया है। एक स्मार्ट सिटी पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च होने थे। इसमें 500 करोड़ रुपए केंद्र और इतने ही राज्य सरकार को देने थे। राज्य सरकार ने भी अपने हिस्से के लगभग 1100 करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। फिलहाल सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए अब नगरीय प्रशासन विभाग स्मार्ट सिटी के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेने की कोशिश में जुट गया है।

भोपाल, इंदौर, जबलपुर को नहीं मिला दो साल से पैसा

पहले दौर में स्मार्ट सिटी के लिए चयनित हुए भोपाल, इंदौर और जबलपुर शहर को केंद्र सरकार ने दो वित्तीय वर्षों से स्मार्ट सिटी के लिए पैसा जारी नहीं किया है। इसकी वजह भी पैसा खर्च नहीं कर पाना है। भोपाल, इंदौर ने लगभग 50-50 प्रतिशत पैसा खर्च कर दिया है, जबकि जबलपुर 25 प्रतिशत बजट भी खर्च नहीं कर पाया।

केंद्र ने यूटिलिटी सर्टिफिकेट मांगा

स्मार्ट सिटी के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से पैसा मांगा था, लेकिन केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि पहले राज्य सरकार मौजूदा बजट का 75 प्रतिशत खर्च कर यूटिलिटी सर्टिफिकेट दे, इसके बाद अगली किस्त जारी की जाएगी।

दोनों सरकारों के पास टोटा

सूत्रों के मुताबिक मूल समस्या यह है कि न तो केंद्र सरकार के पास फिलहाल ज्यादा पैसा है और न ही राज्य सरकार के पास। स्मार्ट सिटी लक्ष्य के मुताबिक पैसा खर्च नहीं कर पा रही हैं तो इसकी आड़ लेकर दोनों ही सरकार फिलहाल पैसा जारी नहीं कर रही हैं।

किस शहर को कितना बजट मिला और कितना खर्च किया

भोपाल : केंद्र और राज्य से कुल 800 करोड़ रुपए मिलने थे। सिर्फ 396 करोड़ रुपए जारी हुए। इस बजट में से सिर्फ 223 करोड़ रुपए खर्च कर पाए।

इंदौर : 800 करोड़ रुपए मिलने थे। मिले 396 करोड़ रुपए। खर्च किए 170 करोड़ रुपए।

जबलपुर : 800 रुपए का बजट मिलना था। 396 करोड़ रुपए मिले। खर्च किए सिर्फ 65 करोड़ रुपए।

ग्वालियर और उज्जैन : दोनों शहरों को केंद्र और राज्य से 600-600 करोड़ रुपए मिलने थे। हर शहर को 336 करोड़ मिले। ग्वालियर ने सिर्फ 6 करोड़ खर्च किए, जबकि उज्जैन 15 करोड़ ही खर्च कर पाया।

सागर, सतना : 2017-18 और 2018-19 के लिए दोनों सरकारों से 400 करोड़ रुपए मिलने थे। 22-22 करोड़ रुपए मिले। सागर ने दो और सतना ने 2 करोड़ खर्च किए।