भोपाल:श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण्य में एशियाटिक लॉयन (बब्बर शेर) लाने में देरी होने की आशंका है। शेरों की शिफ्टिंग में गुजरात सरकार ने फिर नया बहाना बनाया है। गुरुवार को राजधानी में आयोजित एम्पॉवर्ड कमेटी की बैठक में आए गुजरात के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अक्षय सक्सेना ने अध्ययन पूरे होने तक शेर देने से मना कर दिया। जबकि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिकों ने शिफ्टिंग पर सहमति जताई है।
शेरों की शिफ्टिंग को लेकर वन अफसरों के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है। 13 मार्च को दिल्ली में दोनों राज्य के वन अफसरों की बैठक हुई थी। इसमें तय हुआ था कि दोनों राज्यों में एम्पॉवर्ड कमेटी की बैठक करें और शेरों की शिफ्टिंग की रणनीति बनाएं। इसी कड़ी में गुरुवार को राजधानी में बैठक बुलाई गई थी। इसमें डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक डॉ. कौशिक बनर्जी, गुजरात के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अक्षय सक्सेना, एसएफआरआई जबलपुर, ग्वालियर के सीसीएफ, कुनो अभयारण्य के डीएफओ सहित वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के अफसर शामिल हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 6 माह में मप्र भेजें शेर
ज्ञात हो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है। कोर्ट ने वर्ष 2013 में कहा था कि 6 महीने के अंदर शेरों को मध्यप्रदेश भेजा जाए, लेकिन कोर्ट के इस आदेश पर अमल नहीं किया गया। इसे लेकर लगातार सुनवाई चलती रही। आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की अवमानना याचिका पर 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों सरकारों (केंद्र व गुजरात) को बैठक फैसला करने को कहा था। इस पर 13 मार्च को दिल्ली में दोनों राज्यों के वन अफसरों की बैठक बुलाई थी। उल्लेखनीय है कि शेरों की शिफ्टिंग का मामला 27 साल से अटका हुआ है।
यह तो लंबी प्रक्रिया है
बैठक में वन अफसरों ने बताया कि कुनो पालपुर शेरों की शिफ्टिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसलिए शिफ्टिंग की रणनीति तैयार की जाना चाहिए। इस पर गुजरात के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन सक्सेना ने कहा कि पहले कुनो को लेकर होने वाले अध्ययन पूरे हो जाएं, शिफ्टिंग की रणनीति पर फिर काम होगा। इस पर डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक डॉ. कौशिक ने कहा कि अध्ययन लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है और वर्तमान में कुनो में शेरों के रहवास की पर्याप्त सुविधाएं हैं। ऐसे में शिफ्टिंग शुरू करना चाहिए। फिर भी गुजरात के अफसर शिफ्टिंग को तैयार नहीं हुए। शेरों की शिफ्टिंग के लिए 32 प्रकार के अध्ययन किए जाने हैं। इनमें से 15 अध्ययन हो चुके हैं।