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पटरी पर दौड़ी हाइड्रोजन से चलने वाली पहली ट्रेन, जानिए इसकी खासियतें

हैम्बर्ग (जर्मनी)। हाइड्रोजन से चलने वाली विश्व की पहली ट्रेन जर्मनी में पटरियों पर दौड़ने लगी है। उत्तरी जर्मनी के पास इस ट्रेन का सफल परिचालन आरंभ हो गया। फ्रांस की एल्स्टॉम कंपनी द्वारा बनाई गई इस ट्रेन का पहला सफर पश्चिमी हैंबर्ग के कक्सहैवन से बक्सतेहुद तक हुआ। अब तक इस 100 किमी लंबे रूट पर डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेन ही चल रही थी। लेकिन अब इन्हीं पटरियों पर बिना शोर और प्रदूषण के ट्रेन दौड़ेगी।

कंपनी ने इस ट्रेन के पहियों का इस तरह निर्माण किया है कि ट्रेन में सवार यात्रियों को एक बार भी झटके महसूस नहीं होंगे। साथ ही ट्रेन की खासियत ऐसी है कि इसके इंजन के टैंक को एक बार हाइड्रोजन से फुल कर देने के बाद यह 1000 किमी तक दौड़ सकता है। इस ट्रेन का नाम कोराडिया इलिंट रखा गया है।

फ्रांस की कंपनी एल्स्टॉम ने दो वर्ष की मेहनत के बाद इसका निर्माण किया है। कंपनी का दावा है कि यह ट्रेन शून्य उत्सर्जन पैटर्न पर चलती है और इससे धुआं नहीं, भाप उत्पन्न होगी। यह ट्रेन बहुत ही कम शोर करती है। कंपनी का ऐसा दावा है कि इसकी स्पीड और यात्रियों को ले जाने की क्षमता डीजल ट्रेन के मुकाबले जरा भी कमतर नहीं है। कोराडिया इलिंट ट्रेन की अधिकतम गति सीमा 140 किमी प्रति घंटा है।

ट्रेन में हाइड्रोजन ईंधन सेल लगे हैं, जो रासायनिक प्रतिक्रिया न के जरिए बिजली उत्पन्न करते हैं। यह बिजली लीथियम आयन बैटरी को चार्ज करती है और इसकी मदद से ट्रेन सरपट दौड़ती है। ट्रेन की उपयोगिता को देखते हुए कंपनी को 2021 तक ऐसी ही 14 रेलगाड़ियां निर्मित करने का ऑर्डर भी मिल चुका है।

टाटा ने भी बनाई है हाइड्रोजन से चलने वाली बस

देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली बस टाटा कंपनी ने बनाई है। पर इसका अभी परीक्षण चल रहा है। टाटा मोटर्स और इंडियन ऑयल कंपनियां ने मिलकर इसे बनाया है। हाइड्रोजन को आने वाले कल का ईंधन माना जाता है। इस ईंधन तकनीक से उच्च क्षमता हासिल हो सकती है और इसमें केवल पानी एग्जास्ट (उत्सर्जन) होगा। इंडियन ऑयल अनुसंधान एवं विकास केंद्र में देश के पहले हाइड्रोजन आपूर्ति केंद्र में वाहनों को लंबी अवधि तक ट्रॉयल में रखा जाएगा।