इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन से जुड़ी इंडस्ट्रीज मध्य प्रदेश सरकार के एक फैसले से नाराज है। परदेशीपुरा इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स में 27 साल से चल रही इलेक्ट्रॉनिक लैब पर ताले लग गए हैं। पूरे देश में सिर्फ 27 शहरों में यह लैब है और प्रदेश में सिर्फ इंदौर में संचालित हो रही थी। अब उद्योगपतियों को उपकरण के सेंपल की जांच के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ेगा। इस लैब का उपयोग कई सरकारी उपक्रम भी करते हैं। इस लैब में 15 करोड़ से अधिक के उपकरण अब धूल खा रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम के अधीन ज्यादातर कर्मचारियों का तबादला भोपाल कर दिया गया और सिर्फ दो अफसर यहां तैनात हैं।
प्रयोगशाला बंद करने के पीछे अफसर तर्क दे रहे कि लैब से ज्यादा आय नहीं हो रही थी। लैब बंद होने के मामले में एमपीईडीसी के मैनेजर द्वारकेश सराफ से बात की, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
पांच एकड़ जमीन थी लैब के लिए आरक्षित : वर्ष 1997 में लैब केंद्र ने प्रदेश सरकार को हस्तांतरित की थी, तब पांच एकड़ जमीन भी थी, दो साल पहले जमीन के एक हिस्से में आईटी पार्क का निर्माण निगम ने किया और निजी कंपनियों को जमीन किराए पर दे दी। कैम्पस की एक अन्य बिल्डिंग में भी निजी आईटी कंपनियां संचालित हो रही हैं।
फैसले पर उद्योगपति भोपाल जाकर जताएंगे नाराज
– भोपाल में भी थी इस तरह की लैब लेकिन वह काफी समय पहले बंद हो चुकी है।
– इंदौर स्थित लैब में संभाग के अलावा प्रदेश के दूसरे शहरों की फैक्टरियों के उपकरण भी जांच के लिए आते थे।
– उद्योगपति इस फैसले का विरोध करेंगे और भोपाल जाकर नाराजगी दर्ज कराएंगे।
– उद्योगपतियों का कहना है कि निजी लैब में जांच महंगी होती है और उसकी विश्वसनीयता भी नहीं रहती।
कई शासकीय उपक्रम भी लेते थे लैब की मदद
उपकरणों के परीक्षण और सटीकता के प्रमाणीकरण के लिए कई सरकारी उपक्रम भी मदद लेते थे। इनमें विमानतल, बैंक नोट प्रेस, एकेवीएन, पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण केंद्र आदि शामिल हैं। एसोसिएशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज के सचिव अनुज उपाध्याय के अनुसार इस लैब के बंद होने की कीमत इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को चुकानी होगी। भारी भरकम उपकरणों को जांच के लिए दूसरे प्रदेशों में ले जाना मुश्किल होगा।
घाटा हो रहा था
लैब से हमें घाटा हो रहा था, इसलिए हमने उसके बारे में नई प्लानिंग की है। लैब बंद किए जाने का फैसला होल्ड पर रखा है। लैब को या तो पीपीपी पर संचालित किया जाएगा या आईटीआई के माध्यम से लैब चलाई जाएगी, इससे छात्र भी प्रशिक्षित होंगे। -तन्वी सुन्द्रियाल, एमडी, स्टेट इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन