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उज्जयिनी : सृष्टि के आरंभ से… स्मार्ट की ओर…

उज्जैन:पुराणों में वर्णित प्रदेश की धर्मधानी और कालगणना के केंद्र कहे जाने वाले उज्जैन शहर को लेकर मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ से ही महाकाल की ये नगरी अस्तित्व में है। भागवत महापुराण, स्कंद पुराण सहित कई धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। राम ने शिप्रा तट पर अपने पिता दशरथ का तर्पण किया तो कृष्ण ने यहां गुरु सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की। कभी अवंतिका, कनकश्रृंगा, कभी उज्जयिनी के नाम से जाना जाने वाला यह शहर पहले शिप्रा तट व उसके आसपास बसा हुआ था।

करीब 100 साल पहले नए शहर का विकास ब्रिटिश टाउनशिप की तर्ज पर करने के प्रयास किए गए थे। फ्रीगंज के नाम से पहचाने जाने वाले शहर के नए क्षेत्र की डिजाइन एक ब्रिटिश वास्तुविद् ने तैयार की थी। उसी आधार पर यहां बसाहट ने आकार लिया। 152 किमी क्षेत्रफल में बसा यह शहर सिंहस्थ दर सिंहस्थ बदलता और बढ़ता चला गया। ब्रिज, सड़क और फ्लायओवर ने धर्मनगरी की सूरत ही बदल गई।

जीरो रेखांश पर स्थित : ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार जीरो रेखांश पर स्थित है। शहर का उत्तरीय अक्षांश 23 अंश, 9 कला व 36 विकला है तथा पूर्व रेखांश 75 अंश 43 कला बताया गया है। भूमध्य तथा कर्क रेखा का अनुगमन भी जीरो रेखांश पर होता है।

मप्र में सबसे आसान रोड कनेक्टिविटी : एकमात्र ऐसा ब्रिज जिस पर चौराहा पूरे मध्यप्रदेश में संभवत: उज्जैन ऐसा शहर है जहां सबसे बेहतर रोड कनेक्टिविटी है। चार फोरलेन सहित 78 चौड़ी सड़कें, 14 नए ब्रिज, 244 बगीचे और 2 फ्लाय ओवर मेट्रो सिटी का अहसास कराती हैं। एक ऐसा ब्रिज (हरिफाटक ब्रिज) है जिस पर चौराहा है।

अब स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर उज्जैन 

स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल है। अगले तीन साल में यहां स्वीकृत ड्रॉफ्ट अनुरूप 2300 करोड़ स्र्पए के विभिन्न् निर्माण कार्य होने हैं। भूमिगत सीवरेज लाइन प्रोजेक्ट और महानंदानगर में बन रहे साइकिल ट्रैक के साथ इसका आगाज हो चुका है।