उज्जैनप्रकाश त्रिवेदी की कलम से

सपाक्स के नामचीन उम्मीदवार उलटफेर कर सकते है। योग गुरु डॉ. राधेश्याम मिश्रा और वरिष्ठ वकील जियालाल शर्मा मैदान में।

 

उज्जैन। एक उम्र में सत्तर के ऊपर है,पर जोश ख़ालिश युवा जैसा है, एक 50 साल के है और उनके काम 100 साल जितने है। ये दोनों एसटीएससी एक्ट के खिलाफ चर्चा में आए सपाक्स के उत्तर दक्षिण क्षेत्र के प्रत्याशी है। वरिष्ठ अभिभाषक पण्डित जियालाल शर्मा उज्जैन उत्तर से मैदान में है। चर्चित और विख्यात योग गुरु डॉ. राधेश्याम मिश्रा”पंडित जी” उज्जैन दक्षिण से मोर्चा संभाले है।
पत्रकारिता के रास्ते 1992 के सिंहस्थ के दौरान आध्यात्मिक योग यात्रा शुरू करने वाले डॉ. मिश्रा विश्वविद्यालय में भी सेवारत रहे है। अपने विजन,एक्सपोज़र और प्लानिंग की बदौलत उन्होंने योग गुरु के रूप में विश्वविख्यात छवि हासिल की है। उनके कई देशों में आश्रम और योग प्रकल्प है,दुनिया के नामी कारपोरेट हाउस उनके योग सम्बन्धी वर्कशाप कराते है।
उत्तर के जियालाल शर्मा नामी वकील है,धाकड़ ब्राह्मण नेता है,और गुदरी चौराहे पर उनकी बैठक शाम से देर रात तक गुलजार रहती है। 1977 में भी दक्षिण से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके है।
दोनों नामचीन चुनाव क्यो लड़ रहे है। सवाल सुनकर योग गुरु की मोहक मुस्कान बिखर जाती है। राजनीति नही सेवानीति करना चाहता हूँ। उज्जैन को सिलिकॉन वैली बनाना चाहते है,ज्ञान आधारित रोजगार के पैरोकार है,उनको दुःख है कि उज्जैन से युवा पलायन हो रहा है,इसे रोकने के लिए ही राजनीति में आए है।
जियालाल शर्मा कहते है लोग दलों के दलदल से परेशान है, नए और अनुभवी को अवसर देना चाहते है,सवर्ण स्वाभिमान और सामजिक समरसता के लिए चुनाव लड़ रहे है।
कैसे और क्यो जीतेंगे? सवाल पर दोनों आत्मविश्वास से भरे है। जियालाल शर्मा को उम्मीद है वे भाजपा-कांग्रेस को हराकर इतिहास रचने जा रहे है। उन्हें जनसंपर्क में बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
योग गुरु डॉ. राधेश्याम मिश्रा को लगता है कि लोग उनकी बात को समझ रहे है, उनके मुद्दे लोगो के मन को टच करते है,उनकी टीम घर घर जा रही है। उन्हें विश्वास है कि उनकी उम्मीदवारी को मतदाता अपना समर्थन प्रदान करेंगे।
बहरहाल राजनीति में सेवानीति और ईमानदारी-पेशेगत प्रतिष्ठा के बल पर चुनाव मैदान में उतरे इन नामचीनों को मतदाता क्या प्रतिसाद देते है देखना बहुत दिलचस्प होगा।
कहा भी गया है,इतिहास की रचना कुछ सेकंड में ही होती है।

प्रकाश त्रिवेदी