उज्जैनदेवासमध्य प्रदेश

आयुक्त साहब ये क्या हो रहा…………..! कब लेंगे बस स्टैंड की सुध…..


देवास। शहर का एकमात्र बस स्टैंड जहां प्रतिदिन हजारों यात्री अपने गंतव्य की ओर जाने के लिए विभिन्न मार्गो की ओर जाने वाली बसों से यात्रा करते हैं। पिछले कई महीनों से स्थानीय बस स्टैंड पर सुधारीकरण के साथ ही व्यवस्थित करने का कार्य भी लगातार जारी है। लेकिन नगर निगम की ढीली प्रवृत्ति के कारण यह काम अब तक पूर्ण नहीं हो पा रहा है……. जिसके कारण कई बार छोटे-मोटे हादसे होने से कई लोग घायल भी हुए जिसका असर यह हुआ कि लोग यह कहते गए यह बस स्टैंड है या नगर निगम का परीक्षण स्थल आखिरकार निगम कब तक इस बस स्टैंड पर परीक्षण कर नवीनीकरण करने के दावों को साथ इस तरह परीक्षण करता रहेगा। वहीं बस स्टैंड के निवासियों का कहना है कि आखिरकार कब पूरा होगा बस स्टैंड का कार्य या यात्री इसी तरह गिरते रहेंगे और चोट आने पर निगम को कोसते रहेंगे।
शहर का एकमात्र बस स्टैंड जहां पर पिछले कई माह से विभिन्न प्रकार के कार्य किये जा रहे है जिसमें नाली बनाना और स्टैंड का प्रतीक्षालय भवन के साथ सौंदर्य करण के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन इन कामों के चलते अब तक सिर्फ निर्माण कार्य ही जारी है, जो अब तक वैसी ही हालत में है, जैसा आरंभ से था। स्थानीय लोगों व प्रतिदिन यात्रा कर रहे यात्रियों का कहना है कि हालात जस के तस बने हुए हैं जिसके कारण निर्माण तो अधूरा है ही और लोग गिरते और अपने आप को बचाते निकलते रहते हैं। गुरूवार सुबह हमारे कैमरे एक तस्वीद तब कैद हुई जब एक महिला यात्री बस नीचे उतरी उसके बाद बस स्टेण्ड पर पड़े मटेरियल के कारण एक महिला का पाव सरिये में उलझ गया और वह गिर पड़ी जिसके कारण उसके हाथ में चोट भी पंहुची। लेकिन थेाडी ही देर में फिर एक आदमी बस स्टेण्ड पर बन रही नाली के किनारे में रखी फर्सी उसके पाव पर गिरने से फिर एक हादसा हुआ। यह सिर्फ एक ही दिन की बात नहीं है यहां प्रतिदिन यही हालत देखने को मिलते है, कि कोई ना कोई पढ़े हुए सामान के बीच गिर ही जाता है। अगर कोई यात्री बस से नीचे उतर रहा है तो उसे यह नहीं पता पड़ता कि नीचे मलबा है या कुछ और और वो जल्दबाजी के चक्कर में गिरकर चोट पा लेता है हालत यह है कि निगम के अधिकारी चुनाव में लगे हुए थे और देखने वाला कोई नहीं जो इस मलबे को अगर कार्य ना हो रहा हो तो सही से किसी अन्यत्र स्थान पर रख दे। लेकिन मामला निगम का है तो जैसा है, वैसा ही रहने देते हैं। जिससे ना तो ठेकेदार को कोई फर्क पड़ता है ना ही किसी अधिकारी को अगर कोई गिरे या कुछ और बड़ा हादसा हो उससे अधिकारी या ठेकेदार को कोई लेना, ना ही देना है। वही निगम इस और सुध नहीं ले रही बस स्टैंड कब पूरा हो। अब तक बस से आ रहे यात्री भी विचार कर रहे हैं कब लेगे जिम्मेदार बस स्टैंड की सुध।