वाशिंगटन। धरती का वायुमंडल लीक हो रहा है। रोजाना सैकड़ों टन वायु अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है। इस प्रक्रिया को करीब से समझने के लिए नासा मंगलवार को अपना विशेष रॉकेट विजन-2 भेजेगा। लीक होते वातावरण के अध्ययन के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यह दूसरा अभियान है।
इससे पहले 2013 में विजन-1 को लांच किया गया था। विजन-2 एक साउंडिंग रॉकेट है, जो अंतरिक्ष में एक खास दूरी तक जाएगा और कुछ मिनट बाद ही गिर जाएगा। साउंडिंग रॉकेट को उसकी गति के कारण विशेष अंतरिक्षयान माना जाता है।
इसे अंतरिक्ष में होने वाली किसी ऐसी घटना के अध्ययन के लिए भेजा जाता है, जो किसी विशेष बिंदु पर होती है और बहुत थोड़े समय तक टिकती है।
गुरुत्वाकर्षण तोड़कर उड़ जाता है
वायुमंडल धरती या किसी भी ग्रह का वायुमंडल उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के कारण बंधा रहता है। इस बंधे हुए वायुमंडल के बाहर अंतरिक्ष में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनके कारण वायुमंडल की कुछ वायु गुरुत्वाकर्षण को तोड़कर अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है। इस प्रक्रिया को औरोरा कहा जाता है। विजन-1 के जरिये धरती के उस हिस्से के ऊपर औरोरा का अध्ययन किया गया था, जहां रात थी। विजन-2 को ऐसे हिस्से की ओर भेजा जाएगा, जहां दिन में औरोरा का निर्माण होता है।
कई मामलों में अहम है अध्ययन धरती के चारों ओर हजारों अरब टन वायुमंडल है। नासा के वैज्ञानिक थॉमस मूरे ने कहा कि फिलहाल जिस गति से पृथ्वी का वायुमंडल लीक हो रहा है, उस हिसाब से यह एक से डेढ़ अरब साल में पूरी तरह खत्म हो जाएगा। इस प्रक्रिया के अध्ययन से यह समझने में भी मदद मिलने की उम्मीद है कि मंगल या अन्य ग्रहों पर कितने समय पहले जीवन के योग्य वातावरण रहा होगा।
क्यों जरूरी है वायुमंडल?
धरती पर जीवन संभव होने में इसके वायुमंडल की भूमिका बहुत अहम है। वायुमंडल में व्याप्त गैसों की संरचना और अलग-अलग परतें ही धरती को जीवों के रहने के अनुकूल बनाती हैं। धरती के तापमान से लेकर यहां उपलब्ध जल के होने तक में इस वायुमंडल की अहम भूमिका है।
वायुमंडल की ओजोन परत ही धरती को सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाती है। इसके अलावा गैसों के कारण बनने वाले ग्रीन हाउस प्रभाव की वजह से ही सूर्यास्त के बाद भी धरती का वातावरण गरम बना रहता है। ग्रीन हाउस प्रभाव नहीं होने पर सूर्य के डूबते ही धरती का तापमान असहनीय रूप से ठंडा हो जाएगा।