प्रकाश त्रिवेदी की कलम सेमध्य प्रदेश

मालवा-निमाड़ में कांग्रेस के “जी” उठने से संघ-भाजपा में “चिंतन”शुरू।

 

इंदौर। परिणाम कुछ भी आए पर कांग्रेस ने दमदारी से चुनाव लड़ा और 15 साल बाद कांग्रेस की टेबलों पर भीड़ दिखाई दी। कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता सक्रिय नजर आए,मतदाता ने भी अरसे बाद कांग्रेस प्रत्याशी में रुचि ली। मतदाताओं के इस तरह के लक्षणों से संघ-भाजपा के रणनीतिकारों के माथे पर बल आ गए है।

रणनीतिकारों की चिंता इस बात को लेकर है कि वैचारिक और व्यवहारिक स्तर पर बहुत संघर्ष और मेहनत के बाद कांग्रेस के लिए जनमानस मे नकारात्मक भाव बना था। इसी भाव भूमि पर भाजपा लगातार चुनाव जीत रही है। इस चुनाव इन भावभूमि में भी सेंध लगती हुई दिख रही है।
परिणाम तो ईवीएम में कैद हो चुके पर कांग्रेस के अंगड़ाई लेने,सक्रिय होने और एक साथ खड़े होने से संघ-भाजपा की चिंता लोकसभा चुनावों को लेकर साफ दिखने लगी है। संघ-भाजपा की टोली बैठकों में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान, जनसंपर्क, और बूथ प्रबंधन समीक्षा का दौर जारी है। कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिले प्रतिसाद को भी आंका जा रहा हैं। चुनाव के दौरान भाजपा नेताओ की कार्यप्रणाली और सक्रियता की भी तुलना की जा रही है।
संघ-भाजपा की चिंता अब लोकसभा चुनाव पर केंद्रित हो गई है। मध्यप्रदेश में भाजपा के पास 26 सीटें है। जो अधिकतम है। इसे बचाना और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मंशा के अनुरूप बाकी तीन झाबुआ,गुना,छिंदवाड़ा सीट जीतना पार्टी के लिए बड़ी चुनोती है।
मालवा निमाड़ की 8 सीटों में झाबुआ सीट को छोड़कर सभी 7 भाजपा के पास है।
आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा की जड़े दरकने लगी है। दलित वोटर जरूर भाजपा के साथ है,व्यापारी,मध्यवर्ग और उच्च वर्ग की अपनी नाराजगी है। पिछड़ा वर्ग राजनीतिक गुणा-भाग के अनुसार मतदान करता है।
विधानसभा चुनाव में मतदान पैटर्न और कांग्रेस के प्रति कम होती नाराजगी से लोकसभा चुनाव पर कितना असर होगा इसका आकलन 11 दिसम्बर को परिणाम आने के बाद होगा पर तत्कालीन लक्षणों से संभावित संकट को भांप लिया गया हैं।
बहरहाल अनुमानों,कयासों, दावे-प्रतिदावों के बीच संघ-भाजपा की सबसे बड़ी चिंता मालवा-निमाड़ में अरसे बाद कांग्रेस के “जी” उठने की है।

प्रकाश त्रिवेदी।