भोपाल। पक्षियों के लिए सबसे उपयुक्त भोपाल का बड़ा तालाब है, जिसे दुनियाभर में रामसर साइड के नाम से जाना जाता है। इन दिनों यह तालाब प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुलजार है। यहां हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षियों ने इस बार भी डेरा जमाया है।
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिवर्ष प्रवास पर आने वालों के पक्षियों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। इसकी वजह शिकार और पर्यावरण संतुलन का बिगड़ना तो है। ही साथ ही हमारे सरकारी महकमों की इन पक्षियों के प्रति उदासीनता भी है, जो हमारी झीलों में विभिन्न गतिविधियां चलाते समय इन पक्षियों के सुरक्षित विचरण के बारे में विचार नहीं करते।
ये शर्मीले पक्षी अपने बीच मानव का दखल पसंद नहीं करते और झीलों को छोड़कर दूसरी जगह चले जाते हैं। पक्षी विशेषज्ञ अनिल गुलाटी बताते हैं प्रतिवर्ष आने वाले गॉडविट और स्नाइप के बड़े समूह मैंने अभी देखे हैं। बड़ी खुशी है कि वह इतनी बड़ी संख्या में यहां आए हैं। इस बार माइग्रेशन अच्छा रहने की उम्मीद है।
झील के अंदर एक पक्षी समूह में यूरोप से आने वाली यूरेशियन वेगान जो लगभग 12 हजार किलोमीटर का सफर तय कर यहां आती है। हालांकि इनकी संख्या में कमी आई है। इनकी संख्या को लेकर कोई दावा नही किया जाना चाहिए, क्योंकि यह मौसम के हिसाब से घटती-बढ़ती रहती है।
यह पक्षी आए
आने वाले पक्षियों में रुडीस डक (सुर्खाब), नार्दन पिनटेल, यूरेशियन वेगान, कॉम्ब डक, शावलर, स्नाइप, गॉडविट, रेडक्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन टील, स्पॉट बिल्ड डक आदि शामिल हैं।