भोपाल। ट्रेन-18 की रफ्तार के लिए नई दिल्ली-हबीबगंज रेलवे ट्रैक सक्षम है। रेलवे बोर्ड के अधिकारी भी रैक को नई दिल्ली से हबीबगंज के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस से इसे रिप्लेस करने पर सहमति दे चुके हैं। मंडल रेल उपयोगकर्ता समिति के सदस्यों का कहना है कि पहले स्वदेशी रैक को नई दिल्ली-हबीबगंज के बीच ही चलाना चाहिए। इसके बाद भी रैक को नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाने की कवायद तेज हो गई है।
रेलवे बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि नई दिल्ली-हबीबगंज शताब्दी को ट्रेन-18 का रैक मिलना मुश्किल है, क्योंकि इसे वाराणसी तक चलाने की कवायद तेज हो गई है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि नई दिल्ली से हबीबगंज के बीच रेलवे ट्रैक पर नए रैक को 160 किमी की रफ्तार नहीं मिल सकती। क्योंकि ललितपुर से हबीबगंज तक रेलवे ट्रैक कई सेक्शनों में घुमावदार है। इसके कारण ट्रेन को एक जैसी तेज रफ्तार में चलाना मुश्किल होगा।
भोपाल रेल मंडल के कुछ सेक्शनों में काली मिट्टी भी है। इसके कारण बारिश में ट्रैक के धसने की शिकायत मिल चुकी है। इन्हीं तर्कों के बाद ट्रेन-18 के रैक को नई दिल्ली-वाराणसी तक चलाने की तैयारी चल रही है।
ऐसे सक्षम है नई दिल्ली-हबीबगंज रेलवे ट्रैक
ट्रेन-18 के रैक का 2 दिसंबर को सवाईमाधोपुर से कोटा के बीच ट्रैक पर 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रायल किया गया। रेलवे सूत्रों की मानें तो वह ट्रैक 130 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार के लिए सक्षम है। फिर भी उस ट्रैक पर ट्रेन-18 का रैक 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सफल रहा। ऐसे में नई दिल्ली-हबीबगंज रेलवे ट्रैक भी कम नहीं हैं, क्योंकि अभी नई दिल्ली-हबीबगंज शताब्दी एक्सप्रेस भोपाल से ललितपुर के बीच 120, ललितपुर से आगरा तक 130 व आगरा से दिल्ली तक औसत 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही है। यानी इस ट्रैक पर भी ट्रेन-18 को 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है।
भोपाल को रैक मिलने की बात कही थी
डेढ़ महीने पहले पश्चिम मध्य रेल जबलपुर जोन के अधिकारियों ने स्वीकारा था कि ट्रेन-18 का रैक नई दिल्ली-हबीबगंज शताब्दी को मिलेगा। अधिकारियों ने डेढ़ महीने पहले यह बात प्रेस नोट जारी कर मीडिया से साझा की थी
वाराणसी को अच्छे रैक देने पर रहा है जोर
दो साल पहले निशातपुरा में तैयार महामना के पहले रैक केा भी वाराणसी भेजा था, जो दिल्ली से बनारस के बीच चल रहा है। इसके बाद तैयार दो और रैक वाराणसी को दिए हैं, जो वड़ोदरा से बनारस के बीच चल रहे हैं।
दबाव की नीति नहीं चलेगी
बाव वाली नीति नहीं चलेगी। नया रैक नई दिल्ली-हबीबगंज शताब्दी को ही मिलना चाहिए। नया रैक मिलने के बाद किराए में भी बढ़ोतरी होने की खबरें आ रही हैं।
– पंकज चतुर्वेदी, पूर्व सदस्य, मंडल रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति
इस पर राजनीतिकरण ठीक नहीं
रेलवे में राजनीति हावी हो गई है। इसका पहला उदाहरण निशातपुरा में बने महामना के पहले रैक को दिल्ली से वाराणसी के बीच चलना था। ट्रेन-18 के रैक के मामले में भी राजनीति हो रही है, जो यात्रियों के हितों के खिलाफ है। इसका विरोध करेंगे।
– निरंजन वाधवानी, सदस्य, मंडल रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति
ट्रायल के बाद तय करेंगे
अभी तय नहीं है कि ट्रेन-18 का रैक कहां से कहां के बीच चलेगा। ट्रायल पूरा होने के बाद यह तय करेंगे।
– आरडी वाजपेयी, प्रवक्ता, रेलवे बोर्ड