भोपाल। शहर से रोजाना निकलने वाले 850 मीट्रिक टन कचरे में से 400 मीट्रिक टन कचरे की प्रोसेसिंग शुरू हो गई है। आदमपुर छावनी में 12 यूनिट स्थापित की गई हैं, जहां आठ ट्रामन मशीनों (छानने वाली मशीन) से कचरा अलग-अलग किया जा रहा है। कचरे से निकलने वाले कपड़े को अलग करके इससे रस्सी तैयार की जा रही है। जिसे मार्केट में बेच दिया जाएगा। इसी तरह प्लास्टिक की प्रोसेसिंग की जा रही है। गीले कचरे को अलग करके खाद बनाई जा रही है।
इसके अलावा 350 मीट्रिक टन कचरा भानपुर खंती में भेजा जाएगा। यहां सूरत की सौराष्ट्र एन्वायरो प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने साइंटिफिक क्लोजर के लिए काम शुरू कर दिया है। यहां कचरे से बिल्डिंग मटेरियल, कंपोस्ट खाद बनाने और प्लास्टिक रिसाइकलिंग का काम होगा। दिसंबर आखिर तक यहां भी कचरा निष्पदान शुरू करने की तैयारी है।
निगम अधिकारियों ने बताया कि एग्रीमेंट में शर्त दी गई थी कि जब तक एसएल इंफ्रा काम शुरू नहीं कर देती तब तक कचरे का निष्पादन में सहयोग करेगी। इस तरह 850 मीट्रिक टन में से 750 मीट्रिक टन कचरे की रोजाना प्रोसेसिंग हो सकेगी। बाकी बचे हुए कचरे को शाहजहांनी पार्क स्थित बायोमीथेलाइजेशन प्लांट भेजा जाएगा। इस तरह 100 फीसदी कचरा निष्पादन का दावा किया जा रहा है।
बिजली बनने का प्लांट शुरू होते ही बंद होगा कंपोस्ट प्लांट
स्वच्छता सर्वेक्षण के पैरामीटर्स में कचरे की प्रोसेसिंग के दो विकल्प दिए गए हैं। पहला या तो कचरे से बिजली बने या फिर खाद का निर्माण हो। आदमपुर छावनी में बिजली बनाने का जिम्मा निगम ने एसएल इंफ्रा को सौंपा है, लेकिन इसमें कम से कम दो साल लगेंगे। इसलिए निगम ने खाद बनाने का जिम्मा निजी एजेंसी को सौंपा है। निगम अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही बिजली बनाने का काम शुरू होगा खाद बनाने की प्रक्रिया बंद हो जाएगी। बता दें कि सेवन स्टार रेटिंग के लिए 1250 अंक तय हैं, इसके लिए जरूरी है कि शहर से निकलने वाले कचरे की 100 फीसदी प्रोसेसिंग हो।
यह होगा फायदा
– यदि शहर से निकलने वाले कचरे की रोजाना प्रोसेसिंग शुरू हो जाती है तो इसका बड़ा फायदा यह होगा कि शहर में भानपुर खंती के सामान कचरे का पहाड़ नहीं बन पाएगा।
– भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड आठ स्थानों पर ट्रांसफर स्टेशन बना रहा है, इसके बनने से 30 से 40 फीसदी गीला कचरा शहर में ही खाद बन जाएगा। आदमपुर में सिर्फ सूखा कचरा भेजा जाएगा।
– कचरे का निष्पादन होने से गंदगी नहीं होगी।
इनका कहना है
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में देरी हो रही थी, जिसके चलते खाद बनाने के लिए निजी एजेंसी से अनुबंध किया गया है। हमारा प्रयास है कि शहर से निकलने वाले कचरे का 100 फीसदी प्रोसेसिंग हो सके। दिसंबर अंत तक हम कामयाब होंगे- एमपी सिंह, अपर आयुक्त ननि