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एक ही पौधे में टमाटर और आलू, इसे कहते हैं टॉमटैटो प्लांट

रायपुर। अगर आपको एक ही फलदार पौधे पर दो अलग-अलग किस्म के फल देखने को मिले तो कैसा होगा। यह किसी चमत्कार की तरह महसुस होता है, लेकिन कृषि अनुसंधान से जुड़े छात्र इस तरह के अनूठे प्रयोगों के अंजाम दे रहे हैं। रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की शोध छात्रा ने एक ऐसा पौधा तैयार किया है जिसमें टमाटर और आलू दोनों की पैदावार एक साथ हो रही है। विश्वविद्यालय की स्टूडेंट् गरिमा दीवान ने ग्राफ्टिंग (कलम बांधना) के पद्धति से तैयार किया है। रिसर्च के रूप में कार्य कर रही गरिमा का कहना है इससे एक ही मेहनत में दो फसल तैयार किया जा सकता है।

कीटों से मिलेगी राहत

नवाचार की इस पद्धति में टमाटर और आलू में लगने वाले कीटों से भी राहत मिलेगी, क्योंकि दोनों फसलों की पैदावार अवधि में लगभग दो महीने का अंतर होगा। एक फसल तैयार होने के बाद दूसरी फसल को लिया जा सकता है। इसमें युवराज टमाटर व कफूरी आलू को ग्राफ्टिंग कर लगाया है। सबसे पहले टमाटर का पौधा लगाया गया। उसके डेढ़ महीने बाद ही आलू को लगाया गया। जो काफी सफल रहा है। विदेशों में इस तकनीक से उगाए गए उत्पाद को टॉमटैटो कहते हैं। उद्यानिकी विभाग की फ्रंट लाइन डिमॉस्ट्रेशन योजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विवि के वैज्ञानिकों किया गया है। जिससे कृषक की आय में बढोतरी होगी।

नवबंर में किया गया ग्राफ्टिंग

गरिमा ने बताया कि ग्राफ्टिंग की शुरूआत नवबंर में टमाटर के पौध से शुरू हुआ। डेढ़ महिने बाद आलू के पौध को टमाटर के पौधे ग्राफ्टिंग किया गया। 90 दिन में पौधे के ऊपर टमाटर और नीचे आलू विकसित हुए। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रदेश में अब तक बैगन व टमाटर की वाइल्ड वेरायटी के साथ प्रोडक्टिव वेरायटी को ग्राफ्ट कर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। आलू-टमाटर के हाईब्रिड पौधे के सफल रहने पर बिना अतिरिक्त खर्च टमाटर के साथ आलू के उत्पादन में 4-5 टन बढ़ने की उम्मीद है।