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विद्युत वितरण कपंनी कर्मचारी और उपभोक्ता में बिल जमा करने को लेकर विवाद 3 हजार 982 रूपये के बिल में चिल्लर जमा नहीं कर रहे थे विद्युतकर्मी

विद्युत वितरण कपंनी कर्मचारी और उपभोक्ता में बिल जमा करने को लेकर विवाद
3 हजार 982 रूपये के बिल में चिल्लर जमा नहीं कर रहे थे विद्युतकर्मी
देवास। विद्युत वितरण कंपनी के कार्यालय में कोई उपभोक्ता बिजली का बिल भरने के लिये जाता है तो उपभोक्ता या तो नगदी रूपये देकर बिल जमा करता है, या फिर बिल की राशि का चेक देकर भुगतान करता है। जहां विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारीयों को सभी प्रकार से उपभोक्ताओं का ध्यान रखते हुए बिल जमा करना होता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ जब एक उपभोक्ता का कर्मचारी उसके व्यावसायिक प्रतिष्ठान का व घर का बिल लेकर जमा करने आया तो उसके पास मौजूद 10 रूपये के सिक्के की चिल्लरों के साथ दस के नोटों की गड्डीयां व कुछ 20 व 100 के नोट थे। जिस पर काफी देर तक जद्दोजहद हुई तब कहीं जाकर बिल जमा हो पाया। कहा जाये तो भारतीय मुद्रा किसी भी शक्ल में क्यों न हो वह कहलायेगी तो मुद्रा ही। लेकिन यहां पर विभागीय अधिकारी के मान से बैंक उनसे 1 हजार रूपये प्रतिदिन के हिसाब से चिल्लर लेती है, ज्यादा हो तो बैंक भी लेने से इंकार कर देती है। जबकि बैंक को हर प्रकार से करंसी लेना उनका कार्य है।
विद्युत वितरण कंपनी का बिल सलीम अय्युब खाँ व मुस्तकिम अब्दुल के नाम से बिल आया तो उनका एक कर्मचारी शुभम सोनी बिल जमा करने के लिये पंहुचा जहां काफी देर तक जद्दोजहद इसलिये चलती रही क्योंकि उक्त दोनों बिल लगभग 3 हजार 982 रूपये के थे। जिस पर कर्मचारी करीब 1800 रूपये की 10 के सिक्के की चिल्लर लेकर आया था, वहीं 10, 20, 100 के नोट भी एक प्लास्टिक की थैली में बंद थे। कुल बिल की रकम खुल्ले रूपयों में थी। जिस पर पहले तो विभाग के बिल जमा करने वाले काऊंटर पर मौजूद कर्मी ने बिल जमा करने से मना कर दिया। उसके बाद कर्मचारी शुभम विभाग के अधिकारी से मिला उन्होनें चिल्लर देखकर पहले तो यह कहा की उक्त बिल के मुताबिक चिल्लर अधिक है। फिर भी हम जमा कर लेते हैं आगे से आप ध्यान दे लिया किजिए। जब उपभोक्ता का बिल जमा हो गया तो उसने चैन की सांस ली। बताया जाता है की इस मामले के पूर्व उपभोक्ता ने विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी नेगी से चर्चा की थी, उन्होनें भी उक्त बिल को भरने के लिये कहा था। लेकिन उपभोक्ता का बिल काउंटर पर मौजूद कर्मी ने भरने से इंकार कर दिया तो उपभोक्ता ने पुन: इस मामले को लेकर शिकायत की तब कहीं जाकर बिल भरा जा सका।