भोपाल। सारे देश की तरह मध्यप्रदेश में भी मोदी ही मुद्दा हैं। रीवा से लेकर रतलाम तक और खंडवा से मुरैना तक मतदाताओं में चर्चा का केंद्रबिंदु मोदी और उनकी सरकार का कामकाज ही है। गाहे-बगाहे लोग कमलनाथ की कांग्रेस सरकार पर भी चर्चा करते है,लेकिन उनकी चर्चा किसान कर्जमाफी की कामयाबी-नाकामयाबी को लेकर ज्यादा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के मुकाबले पुर्व मुख्यमंत्री शिवराज का जलवा दिखाई दे रहा है,कमलनाथ अभी छिंदवाड़ा में ही सिमटे है। राहुल गांधी से ज्यादा चर्चा प्रियंका वाड्रा की हो रही है।
फिर चुनाव तो चुनाव है,रीवा में राष्ट्रीय राजमार्ग,10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण और रोजगार की है,तो मुरैना में सेना का सम्मान,एस टी एस सी एक्ट की चर्चा ज्यादा है,चंबल में कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के भरोसे नैया पार लगाना चाहती है तो,बुंदेलखंड में भाजपा टीकमगढ़ को छोड़कर मजबूत दिखाई दे रही है।
निमाड़ में खण्डवा-बड़वानी में कांग्रेस लड़ाई में है,धार-झाबुआ में कड़ी टक्कर है। भाजपा इस बार कांतिलाल भूरिया का किला फतह कर सकती है।
मालवा में मंदसौर और उज्जैन में भाजपा मजबूत है तो शाजापुर और राजगढ़ में कांग्रेस को बढ़त मिल सकती है।
भोपाल के हाईप्रोफाइल मुकाबले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह फंस गए है। भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को खड़ा कर चुनाव का धुर्वीकरण कर दिया है।
वैसे भी भोपाल लोकसभा में गोविंदपुरा, सीहोर,हजूर,भोपाल मध्य,नरेला जैसे विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है।
इंदौर में कांटे का मुकाबला हो सकता है,कांग्रेस ने दूसरी बार पंकज संघवी पर भरोसा जताया है,भाजपा ने ताई और शिवराज की पसंद शंकर लालवानी को टिकट दिया है। पंकज क्लास की पसंद है लालवानी की मास में पकड़ है। दोनो का लोक-व्यवहार अच्छा है,ग्रामीण क्षेत्र जिसे समर्थन देगा वही ताई का उत्तराधिकारी बनेगा। पंकज संघवी चुनावी नेता है,इसका लाभ लालवानी बखूबी उठा रहे है।
प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और कैलाश विजयवर्गीय की रणनीतिक गलती के मद्देनजर लोकसभा की पूरी कमान शिवराज को सौंप दी है। कांग्रेस में भी कमलनाथ का ही नेतृत्व है।
इस चुनाव में राहुल-मोदी से ज्यादा कमलनाथ-शिवराज की प्रतिष्ठा ज्यादा दांव पर है।
शिवराज लोकसभा में बेहतर रिजल्ट देकर मोदी-अमित शाह की नजर में चढ़ना चाहते है ताकि केंद्र में दुबारा मोदी सरकार बनने के बाद मुहाने पर खड़ी कमलनाथ सरकार को गिरकर वापस सत्ता में आया जा सके। शिवराज की चिंता में पश्चिम बंगाल का परिणाम भी रहने वाला है, क्योकि यदि वहाँ परिणाम अपेक्षा के अनुरूप आए तो कैलाश विजयवर्गीय हीरो बन जायेंगे।
पूरे प्रदेश का आकलन करने के बाद लगता है कि यदि कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन अच्छा रहा तो परिणाम 2009 की तरह आ सकते है।
बहरहाल राष्ट्रीय स्तर पर मोदी का चेहरा, एयर स्ट्राईक,सेना का मान सम्मान,जीएसटी, रोजगार चुनावी मुद्दे है वही भाजपा के लिए काम कर रहा संघ का कैडर देशभक्ति,राष्ट्रवाद, आतंकवाद,मुस्लिम तुष्टिकरण जिसे मुद्दे लेकर घर घर जा रहा है।
कांग्रेस की न्याय योजना को कांग्रेस का प्रचारतंत्र लोगो तक नही पहुंचा पा रहा है। कांग्रेस के पास चुनाव प्रबंधन और प्रचार तंत्र में आक्रमकता की कमी है।
बहरहाल मोदी ही मुद्दा है,राहुल अभी मतदाताओं के केंद्रबिंदु नही बन पाए है।
प्रकाश त्रिवेदी