देवास। नगर पालिका निगम जहां आम लोगों के हित को लेकर शहर हित में कार्ययोजना बनाई जाती है, लेकिन उस पर अमल करना खासकर जनप्रतिनिधियों से लेकर निगम अधिकारियों को करना होता है। लेकिन कार्ययोजना बनने के बाद उसके बारे में आम लोगों को विस्तार से इसकी जानकारी नहीं होती है, जितनी जानकारी निगम में बैठे जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को होती है। उसके बावजूद जब भी निगम में परिषद की बैठकें शहर हित को लेकर होती है, तो इन बैठकों में आम लोगों की नहीं वरन जनप्रतिनिधि अपने हित को साधने की बात को लेकर बहस तक कर जाता है। ऐसी परिषद की बैठक आम तौर पर निगम कार्यालय में कभी कभार ही होती है। जहां शहर में चल रही विभिन्न योजनाओं के चलते चर्चाएं और उन योजनाओं के क्रियान्वयन पर कितना कार्य और कितना खर्च किया गया है, इसकी विशेष जानकारी लेने की चाह आम लोगों की अपेक्षा मौजूद पार्षदों को होती है, लेकिन यहां पर पार्षद यह विचार नहीं करते की आम लोगों के हित से संबंधित चर्चा की जाए। गुरूवार को भी इस परिषद की अंतिम बैठक की गई। लेकिन बहस और अधिकारियों के द्वारा जानकारी नहीं देने पर बैठक अब सोमवार को पुन: होगी। आशा है की सोमवार को होने वाली बैठक में आम लोगों के हित को लेकर पार्षद व अधिकारी चर्चा करेंगे, न की बहस, जिससे आगामी नगरीय निकाय चुनाव आने से पहले कम से कम आम लोगों का तो कुछ फायदा हो पाए।
कहा जाए तो नगर निगम में आयोजित होने वाली परिषद की बैठक का एक रूप संसदीय बैठक का ही माना जाता है, लेकिन जहां संसद भवन में देश हित के साथ आम लोगों के हित को लेकर कार्ययोजना बगैर किसी विरोध के नहीं बनती ठीक उसी प्रकार से निगम परिषद की बैठक में भी ऐसा ही हाल देखने को मिलता है। पिछली कई बैठकों में खासकर सिवरेज मद को लेकर चर्चाएं हुई लेकिन उसका निष्कर्ष अब तक सामने नहीं आया फलस्वरूप अब तक मसला सवालों के घेरे में बंधा हुआ है। गुरूवार को भी जहां वर्तमान परिषद की अंतिम बैठक थी उसमें भी पार्षदों के द्वारा खासकर सिवरजे को लेकर प्रश्र पूछे गए, जिसको लेकर मौजूदा अधिकारी जवाब देने में असमर्थ दिखाई दिए। पूर्व के मुताबिक एक दूसरे पर आरोप-प्र्रत्योरोप लगाने से भी पीछे नहीं दिखे निगम अधिकारी ऐसे में शहर हित तो परे हो गया यहां तो ऐसा दिखाई दे रहा था मानो निजी हित साधते हुए कार्य किया जा रहा हो।
निजी कंपनियों ने बने रोड़ खोद दिए
शहर में किन्हीं वार्डो मेंं पार्षदों ने कार्य किए हैं, उन वार्डों में जाने पर जमीनी हकीकत दिखाई देती है। लेकिन शहर में निजी कंपनियों के द्वारा जैसे गैल गैस, मोबाइल कंपनियों के द्वारा बनी सड़कों को इस तरह बेतरतीब रूप से खोद दिया की पुन: सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। कुछ ऐसा ही प्रश्र पार्षद धर्मेन्द चौधरी ने परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया। जिस पर उन्होनें निगम अधिकारियों व संबंधित विभाग से जवाब मांगा की निजी कंपनियों से निगम अधिकारियों को यह पूछना चाहिए की उन्होनें किस स्तर पर सड़कों को खोदा है, कितना खोदने की परिमिशन है, इस प्रकार के कार्यों का रूपया निगम के पास कंपनियों से जमा हो जाता है, लेकिन खोदी गई सड़कों का पुन: जीर्णोद्धार नहीं किया जाता है। साथ ही पार्षद पाचुनकर ने यहा तक कह दिया कि मेरे वार्ड में तो अब मेरे मतदाता मुझे यहा तक कह देते है कि छोटू जरा इधर आओं पर निगम का उस पर कोर्ठ ध्यान नही है।
आवास योजना में होगी जांच
प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर करीब 1437 पात्र-अपात्र लोगो को भूखण्ड देने के बाद सवाल उठने लगे हैं। जिसके चलते इसकी कुछ जांच की गई थी, जिसमें करीब 150 लोग अपात्र पाए गए है। जिसकी पुन: जांच की जाकर कितने पात्र व कितने अपात्र लोग है उसकी पुष्टि की जाएगी।
दैनिक वेतन भोगी हो गए अटैच
निगम में कई विभाग है जहां पर अधिकारियों की स्वीकृति से कई दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, जिसके चलते भी निगम परिषद की बैठक में काफी देर तक विवाद बनता रहा। वहीं बताया गया है की करीब 314 ऐसे कर्मचारी है जो निगम के विभिन्न विभागों में अटेच होकर कार्य कर रहे हैं। जिसकी विधिवत जांच करने के आदेश निगम अध्यक्ष ने दिए हैं।
सिवरेज योजना की जांच 5 दिनों में होगी
सिवरेज कार्य शहर के लगभग तमाम हिस्सों में किया जा चुका है, उसके बावजूद शहर के हालात बदतर है। सड़कें नहीं बनी, जहां पर बनी वह पुन: उखड़ गई, जिसको लेकर निगम सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों ही निगम के मौजूदा अधिकारियों से नाराज बने हुए हैं। वहीं सीवरेज योजना को लेकर बताया गया की जिस कंपनी को नगर निगम ने ठेका दिया था उसका नाम ही बदल गया है। योजना की संपूर्ण जानकारी के लिए पांच लोगों की समिति यशवंत हारोड़े पार्षद के नेतृत्व में बनाई गई है, जिसमें विनय सांगते, राजेश डांगी, कालू बोस और राजेश यादव है। इन्हें 5 दिन में अपने निर्णय देना है। इस योजना की पूरी जांच रिपोर्ट परिषद केे सदस्यों ने कैलाश चौधरी से मांगी है। जो अगले पांच दिनों में पूरी जांच रिपोर्ट देंगे उसके बाद अगली परिषद की बैठक में यह स्पष्ट हो जाएगा की इस योजना में भ्रष्टाचार किसने और कितना किया है।
चौथे दिन परिषद की बैठक को लेकर महापौर से चर्चा करते सदन में