अमृत योजना से सात वार्डों में बन रही 7 करोड़ से पानी की टंकी
गुणवत्ताहीन कार्य मिलने पर रोका गया कार्य
कर्मचारियों का बीमा नहीं, मटेरियल पहुंचाया लेबोरेटरी में
देवास। शहर में कई विकास कार्य निगम के द्वारा किए जा रहे हैं, जिनकी गुणवत्ता की परख की जाए तो असली और नकली सामने आ सकता है। कई ऐसे कार्यों को लेकर निगम अधिकारी जागरूकता के साथ कार्य नहीं कर रहे हैं जिसके कारण शहर में गुणवत्ताहीन कार्य हो रहे हैं। वहीं यदा-कदा अगर इनकी गुणवत्ता की जांच करने के लिए जनप्रतिनिधि पहुंच जाते हैं तो कार्य उस दौरान रूक जाता है और फिर कुछ समय पश्चात जैसा चल रहा था वैसा कार्य जारी हो जाता है। शहर में पिछले कई दिनों से कुछ वार्डो में पानी की टंकी का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसके चलते मंगलवार को एक वार्ड में गुणवत्ताहीन कार्य देखा तो वहां पर मौजूद पार्षद ने चल रहे कार्य को रूकवाया और मटेरियल की जांच हेतु लेबोरेटरी में पहुंचाया जाएगा। शहर में इस प्रकार की कुल 7 टंकी बनाई जा रही है, और सभी स्थानों पर कार्य रूकवाया गया है।
निगम की और से अमृत योजना के तहत जलप्रदाय हेतु 15 सौ लीटर की 7 वार्डो में 7 टंकियों का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इन पानी की टंकियों से वार्डों में जलप्रदाय किया जाएगा, जिससे वार्ड के रहवासियों को पानी की समस्या से निजात मिल सकती है। इस प्रकार की टंकियों के निर्माण के लिए निगम ने ठेका पद्धति से जैनको बिल्डकॉन प्रा.लि. कंपनी नईदिल्ली को ठेका दिया है। इस कंपनी के द्वारा किए जा रहे कार्य को देखने के लिए आनंद ऋषि नगर पार्षद रूपेश वर्मा मंगलवार शाम को पहुंचे जहां उन्होनें मटेरियल की पड़ताल की तो पता चला की टंकी बनाने के लिए मटेरियल गुणवत्ताहीन प्रयोग किया जा रहा है। जिस पर उन्होनें सत्तापक्ष नेता मनीष सेन का मौका स्थल निरीक्षण करने के लिए बुलाया तो उनके साथ मौके पर पार्षद इरफान अली और अमृत योजना के निगम सबइंजीनियर दिलीप मालवीय पहुंचे जिन्होनें मौका निरिक्षण किया जहां पाया गया की मटेरियल गुणवत्ताहीन है। जिसको लेकर उन्होने मौका पंचनाम बनाकर कार्य को रूकवाया। इसके साथ ही जिन वार्डों में टंकी का निर्माण कार्य चल रहा है वहां पर कार्य को रूकवाया गया। वहीं निगम सूत्रों के मुताबिक बताया गया है कि इस प्रकार के टंकी निर्माण कार्य के लिए शुभ लाभ के चलते जैनको बिल्डकॉन प्रा.लि. कंपनी के ठेकेदार ने 20 लाख रुपये की राशि दी है। इस मामले को लेकर कितनी सच्चाई है यह तो कहा नहीं जा सकता लेकिन गुणवत्ताहीन मटेरियल होना और भी कुछ दर्शाता है।
लापरवाही से कार्य किया जा रहा
क्षेत्रीय पार्षद रूपेश वर्मा ने मौके पर जाकर देखा की गुणवत्ताहीन कार्य निगम इंजीनियरों के द्वारा किया जा रहा है। जिसको लेकर उन्होनें निगम इंजीनियर को इस बात की शिकायत की तो उनसे इंजीनियर ने पार्षद वर्मा से ठीक से चर्चा नहीं की और कह दिया की हम जैसा काम कर रहे हैं वैसा ठीक है, हमारा मटेरियल है वह भी सब ठीक है। तुम्हें इससे क्या तकलीफ है, इसके साथ ही पार्षद वर्मा ने इंजीनियर से कहा की आपके कर्मचारियों का बीमा है तो उन्होनें कहा की तुम्हें क्या करना हमारा कर्मचारी चाहे मर जाए। इसके बाद उन्होनें सत्तापक्ष नेता मनीष सेन को वहां पर बुलाया जिसके बाद उन्होनें अमृत योजना के इंजीनियर दिलीप मालवीय को मौके पर बुलाया जहां इंजीनियर ने भी पाया की टंकी नियम के विरूद्ध बन रही है। वहीं मौके पर पाया गया की जो कर्मचारी टंकी पर कार्य कर रहे हैं उनका न तो बीमा है, न ही कार्य संबंधी कोई निर्देश मौके पर लिखे दिखे हैं। वहीं नियमानुसार एक साइड इंजीनियर निर्माण कार्य के दौरान होना चाहिए। निगम का इस और ध्यान नहीं है। कहा जाए तो ठेकेदार के द्वारा घोर लापरवाही से कार्य किया जा रहा है।
1 टंकी की लागत 1 करोड़
अमृत योजना के सबइंजीनियर दिलीप मालवीय ने बताया की इस प्रकार के निर्माण कार्य के लिए प्रति टंकी 1 करोड़ रूपए की लागत आई है, वहीं शहर के 7 वार्डों में इस प्रकार की टंकी का निर्माण कार्य जारी है तो कुल 7 करोड़ रूपए की लागत से इस प्रकार की टंकियों का निर्माण हो रहा है। उन्होनें बताया की गुणवत्ताहीन ेकार्य ठेकेदार के द्वारा किया जा रहा है, जिसे वर्तमान में रोक दिया गया है। इस मटेरियल की जांच हेतु लेबोरेटरी में पहुंचाया जाएगा। वहां से रिपोर्ट आने के उपरांत ही कार्य आगे शुरू हो सकेगा।