धर्मं/ज्योतिष

सावधान ! खतरे का समय शुरू होता है अब !

– योगेन्द्र माथुर
सावधान ! जी हाँ सावधान ! 15 दिसम्बर के बाद ग्रह-गोचर की स्थिति-परिस्थिति संकेत दे रही हैं कि हमारे विशेष सतर्क रहने का समय आ गया है। यहाँ मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यहाँ आपको मेरा डराने या अनावश्यक भय फैलाने का उद्देश्य कतई नही है बल्कि यह है कि संभावित विपरीत परिस्थितयों व आपदा से समय रहते आपको सचेत किया जा सके। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या होने जा रहा है जिससे हमें विशेष सावधनी बरतने की आवश्यकता महसूस होने लगी ? तो में आपको बताना चाहूँगा की ज्योतिष व खगोलीय मान से 15 तारीख के बाद ग्रहों की वह गोचर स्थिति बन रही है जो सम्भवतः अपनी तरह की अनूठी स्थिति होगी। 15 दिसम्बर से जनवरी अंत तक कई चौंकाने वाली घटना-दुर्घटनाएँ देखने को मिलेंगी।
15 दिसम्बर की शाम को देवगुरु ब्रहस्पति अर्थात गुरु ग्रह अस्त होने जा रहे हैं। गुरु का अस्त होने का अर्थ है ज्ञान व विवेक पर पर्दा डलना। हम समझ सकते हैं कि इस स्थिति में अज्ञान व अनाचार की घटनाओं में वृद्धि होगी। गुरु धर्म के भी कारक हैं अतः उनके अस्त होने से अधर्म की घटनाएँ भी होंगी। 16 दिसम्बर को सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि मे प्रवेश कर वहाँ पहले से मौजूद गुरु-शनि व केतु के साथ युति कर चतुर्ग्रही योग बनाएगा। साथ ही राहु से समसप्तक योग बनाएगा जो प्राकृतिक आपदा को निमंत्रण देने वाला है। यह चतुर्ग्रही योग अब तक यहाँ शुक्र के रहने से बन रहा था जो 16 दिसम्बर को ही धनु राशि से मकर में प्रवेश कर जाएगा।
22 दिसम्बर को बुद्धि का कारक ग्रह बुध अस्त हो जाएगा। ज्ञान व विवेक के कारक ग्रह गुरु पहले ही अस्त हो चुके हैं और अब बुद्धि के कारक ग्रह बुध के भी अस्त होने से “करेला और नीम चढ़ा” वाली स्थिति बनेगी अर्थात अधर्म व अनाचार की घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि होगी। विगत दिनों महिलाओं, युवतियों व मासूम बालिकाओं के साथ जो वीभत्स घटनाएँ हुई हैं उन्हें देखते हुए हमें इन्हें लेकर विशेष सावधनी व सतर्कता उक्त ग्रह स्थिति के चलते रखना होगी।
25 दिसम्बर को बुध भी धनु राशि में प्रवेश कर जाएगा और यहाँ पंचाग्रही योग बनाएगा। इसी के साथ 25 दिसम्बर को ही मंगल तुला से वृश्चिक राशि मे प्रवेश कर धनु राशि में विद्यमान सूर्य, गुरु, शनि, केतु व बुध के साथ द्विद्वादश योग व मिथुन राशि मे स्थित राहु से षडाष्टक योग बनाएगा। यह ग्रह गोचर बड़ी अशांति की वजह बनने के प्रबल संकेत दे रहे हैं। आपराधिक व आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के साथ सीमा पर भी अशांति बढ़ेगी व युद्ध के हालात बनेंगे। सभी ग्रहों का एक ही कोण में होना भी युद्ध की स्थिति बनने के संकेत दे रही है।
31 दिसम्बर को न्याय का कारक ग्रह शनि भी अस्त हो जाएगा। ज्ञान, विवेक व बुद्धि के कारक ग्रहों के अस्त होने के बाद न्याय, कानून व सहनशीलता के कारक ग्रह का अस्त होना दर्शाता है कि अनाचार, अत्याचार के साथ न्याय के विरुद्ध घटनाएँ होंगी। यह स्थिति सरकार या प्रशासन के किसी कार्य या फैसले को लेकर असहनशीलता या असंतोष व आक्रोश बढ़ने के संकेत भी दे रही है।
इस बीच 25 दिसम्बर को धनु राशि में चन्द्र का भी प्रवेश हो जाएगा और यहां षटग्रही योग बनेगा। एक ही राशि मे छः ग्रहों का एकत्र होना बड़ी प्राकृतिक आपदा अर्थात भूकम्प, तूफान, सुनामी, अतिवृष्टि की तरफ संकेत है। मंगल का धनु राशि मे स्थित इन छः ग्रहों से द्विद्वादश होना और मिथुन राशि मे स्थित राहु से षड़ाष्टक योग बनाना अग्नि से संबंधित घटनाएँ एवं ज्वालामुखी के सक्रिय होने की स्थिति बना रहा है।
26 दिसम्बर को खगोलीय इतिहास की सम्भवतः पहली व अनूठी घटना होने जा रही है जब धनु राशि में छः ग्रहों की युति के बीच साल का आखिरी सूर्यग्रहण होगा। पौष अमावस्या, गुरुवार को वलयाकार सूर्यग्रहण होगा जो भारत मे भी दृश्य होगा। इसके ठीक 15 दिन बाद 10 जनवरी, 2020 पौष पूर्णिमा, शुक्रवार को उपछाया चन्द्रग्रहण होगा। यह ग्रहण भी भारत मे दृश्य होगा। अतः भारत में इनका प्रभाव अवश्य देखने को मिलेगा।
24 जनवरी को शनि का राशि परिवर्तन हो जाएगा। शनि धनु राशि को छोड़ कर स्वयं की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। जब भी शनि राशि परिवर्तन करते हैं, उसके विशेष पदछाप छोड़ने वाले प्रभाव देखने को मिलते हैं विशेषकर राजनीति के क्षेत्र में। अतः राजनीति या विदेशों से सम्बन्ध को लेकर कोई महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिलना तय है।
कोशिश कीजिए कि इस समयावधि में विशेष सतर्कता बरतें।
– योगेन्द्र माथुर
लेखक, पत्रकार व चिंतक