देवास जिले के कन्नौद क्षैत्र में स्कूली बच्चों का भविष्य अंधकार में है। शासन प्रशासन द्वारा गांव-गांव स्कूल भवन बनावकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया है देवास जिले के कन्नौद विकासखंड अति शिक्षक विहीन शाला है। प्रदेश की सरकार बदल गई लेकिन यहां की स्कूलो की हालात जस के तस है। जब समाचार लाईन की टीम ने जाकर जायजा लिया तो यहां की मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8 वी तक 60 विद्यार्थी दर्ज है जिनमे से आधे से ज्यादा बच्चे 3 से 5 किमी की दूरी तय कर अपने भविष्य को लेकर ग्राम डाबरी से नांदोन पहुंचते है फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नही लगता। ऐसे में गरीब तबके के लोगो का अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना कैसे पूरा होगा।
ग्राम डाबरी की छात्रा राजनंदिनी विश्वकर्मा ने बताया कि इस बार कक्षा 8 वी बोर्ड परीक्षा है और अब तक अंग्रेजी की किताब नही खुली है। दूसरे अन्य विषय की पढ़ाई भी ठीक से नही हुई है। हमारे स्कूल में पढ़ाने के लिए में टीचर नहीं है। हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं। यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं है, हमारी इच्छा आगे पढऩे की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है।
इस संबंध में जब शिक्षक रामौतार बाकलीवाल से बात की तो उन्होंने बताया की 18 फरवरी 2016 से प्राथमिक विद्यालय से मिडिल का प्रभारी बनाया है। यहाँ स्कूल में विषयवार अतिथि शिक्षक भी नही है। एक अतिथि शिक्षक है जो कि गणित विषय के लिए रखा गया है। जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है मैं प्राइमरी टीचर हूं मैं हिंदी और सामाजिक विज्ञान पढ़ाता हूं जितना मुझे आता है उतना पढ़ा देता हूं यहां पर अंग्रेजी का कोई टीचर नहीं है। जिस कारण बच्चों का भाविष्य अंधकर के बीच लटका हुआ है। वही शासन के आदेश अनुसार नांदोन में प्राइमरी स्कूल से एक टीचर को मिडिल में अटैच किया गया और एक शिक्षक गणित का भी है साथ ही एक अंग्रेजी के शिक्षक का पद रिक्त है ऐसे में बच्चों के भवष्यि में प्रश्र चिन्ह बना हुआ है।