लोकतन्त्र का पर्व आ गया नेता अब निर्वाचित होंगे, मक्कारों की पौ बारह है अवसरवादी सम्मानित होंगे।। जाति, प्रान्त, भाषा और मजहब अब भी चुनाव में
Read Moreख्वाब कोई फिर हँसी दिल में सजा लूँ सोचता है दिल उसे अपना बना लूँ बीत जायेगी अमावस रात काली नज़्म आ इक प्यार की भी गुनगुना लूँ आ गया मौसम सुहाना
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