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Explainer: पीएफ पर 5 लाख तक टैक्स छूट में है ये पेच, जानें-किसे मिलेगा फायदा

सरकार ने प्रोविडेंट फंड में टैक्स फ्री निवेश की सीमा को एक खास कैटेगरी के लोगों के लिए बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है. सरकार ने कहा है कि वे लोग जिनके पीएफ खाते में एम्प्लॉयर की तरफ से कोई योगदान नहीं दिया जाता है, उन्हें ही इसका लाभ मिलेगा.

सरकार ने कहा है कि वे लोग जिनके पीएफ खाते में एम्प्लॉयर की तरफ से कोई योगदान नहीं दिया जाता है, उन्हें ही इसका लाभ मिलेगा. यही एक महत्वपूर्ण पेच है. टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, ‘एम्प्लॉयर की तरफ से योगदान वाली शर्त का मतलब है कि निजी क्षेत्र के ज्यादातर लोगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. इसका फायदा ज्यादातर सरकारी नौकरियों वाले लोगों को मिलेगा.’

असल में कुछ पुराने सरकारी कर्मचारियों के पीएफ में ही ऐसा देखा गया है कि उसमें एम्प्लॉयर यानी सरकार का योगदान नहीं होता. उन्हें इसका लाभ मिल सकता है. बाकी लोगों के लिए 2.5 लाख रुपये तक के पीएफ निवेश पर ब्याज ही टैक्स फ्री है.

कैसे लगता है टैक्स

राहत की बात यह है कि टैक्स की गणना इस छूट सीमा से ऊपर की जाती है. बलवंत जैन ने बताया कि 5 लाख छूट सीमा का मतलब है कि अगर किसी का PF में योगदान सालाना 6 लाख रुपये है तो उसे अपने टैक्स स्लैब के मुताबिक सिर्फ 1 लाख रुपये के अतिरिक्त योगदान से मिले ब्याज पर ही टैक्स देना होगा.

इसी तरह 2.5 लाख तक छूट सीमा में आने वाले व्यक्ति ने मान लीजिए 4 लाख तक योगदान कर दिया है, तो उसके 1.5 लाख रुपये के अतिरिक्त योगदान पर मिले ब्याज पर ही टैक्स लगाया जाता है.

क्या था बजट प्रस्ताव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए बताया था कि 1 अप्रैल से कर्मचारियों के 2.5 लाख से ज्यादा के सालाना पीएफ योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा. यह टैक्स सिर्फ एम्प्लॉई के योगदान पर लगेगा. एम्प्लॉयर का पीएफ योगदान पहले की तरह टैक्स फ्री रहेगा. पहले समूचे पीएफ योगदान से मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता था.

अब सरकार ने जो बदलाव किया है उसमें कहा गया है कि ऐसे मामलों में 5 लाख रुपये तक के पीएफ योगदान को टैक्स फ्री किया गया है, जहां एम्प्लॉयर योगदान नहीं करता. इसका मतलब यह है कि इसका फायदा ज्यादातर सरकारी नौकरियों वाले (जिनका पैसा एसपीएफ या जीपीएफ में जाता है) लोगों को मिलेगा. निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए बजट में घोषित 2.5 लाख रुपये तक का योगदान ही टैक्स फ्री रहेगा.

असल में इनकम टैक्स विभाग ने ऐसे मामले पकड़े जिसमें बहुत से बड़े निवेशक टैक्स बचाने के लिए पीएफ में अपनी इच्छा से स्वैच्छ‍िक भविष्य निधि (VPF) के द्वारा अतिरिक्त निवेश करते थे. ऐसे ही एक निवेशक का पीएफ में 103 करोड़ रुपये जमा था, तो एक व्यक्ति का 86 करोड़ रुपये. उन्हें इस जमा पर मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं देना होता था. इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय 2.5 लाख और फिर 5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव लेकर आया.

कितनी बेसिक सैलरी पर छूट

ऐसे लोग जिनका हर महीने पीएफ में योगदान 20,833 रुपये हो, उनका सालाना योगदान 2.5 लाख रुपये हुआ. इतने योगदान के लिए महीने की बेसिक सैलरी कम से कम 1,73,608 रुपये होनी चाहिए. इसी तरह सालाना 5 लाख योगदान का मतलब है कि हर महीने पीएफ में 41,666 रुपये का योगदान. इसका मतलब यह है कि महीने की बेसिक सैलरी करीब 3,47,216 रुपये होनी चाहिए.

जाहिर है कि यह नियम उन लोगों के लिए लाया गया है जो अपनी इच्छा से टैक्स बचाने के लिए पीएफ में निवेश करते हैं और ऐसे लोगों पर अंकुश के लिए ही यह कदम उठाया गया है.