मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के बाद पूरे जिले में बाढ़ जैसे हालात बने थे। हालांकि इस दौरान यहां के इंदिरा सागर तथा ओंकारेश्वर डेम के सभी गेट अचानक और एकसाथ खोले गए थे, जिससे पूरी तीर्थनगरी पानी-पानी हो गई थी। नर्मदा से सटी निचली बस्तियों व घरों में जल भराव हो गया था तो वहीं कई परिवार बेघर हो गए थे। कुछ घरों में तो एक वक्त का भोजन तक नहीं बचा। जिसके बाद अब पीड़ितों ने बांध प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि ओंकार पर्वत पर बने एकात्म धाम में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के लोकार्पण में सीएम के आगमन को देखते हुए बांध प्रबंधन ने समय पर पानी डिस्चार्ज नहीं किया। इसलिए ऐसे हालात बने। उन्होंने कहा इस नुकसान के लिए बांध प्रबंधन व प्रशासन जिम्मेदार है। इधर जिला कलेक्टर ने सफाई दी कि नर्मदा के कैचमेंट में अति बारिश की वजह से ओंकारेश्वर डेम के गेट खोलने पड़े।

मध्यप्रदेश में हुई अति बारिश के बाद अब बर्बादी का मंजर देखने को मिल रहा है। कई घर टूट गए है तो कई दुकानों का सारा सामान बाढ़ के पानी मे बह गया है। खंडवा स्थित तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में भी बाढ़ के बाद तबाही की तस्वीर देखने को मिल रही है। नर्मदा नदी में अचानक आई इस बाढ़ का जिम्मेदार अब लोग जिला प्रशासन और बांध प्रबंधन को ठहरा रहे हैं। ओंकारेश्वर के स्थानीय रहवासियों का आरोप है कि यह मानव निर्मित बाढ़ थी। उन्होंने बताया कि ओंकार पर्वत पर आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा अनावरण के आयोजन के लिए बांध का पानी रोका गया। जबकि नर्मदा के ऊपरी क्षेत्र में पहले से बारिश हो रही थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक बांध का पानी इसलिए रोका गया क्योंकि कार्यक्रम स्थल तक जाने के लिए नर्मदा नदी पर एक रपटा बनाया गया है। यह पानी मे डूब न जाए इसलिए पानी डैम से छोड़ा नहीं गया। लेकिन जब डैम में बहुत ज्यादा पानी भर गया तो अचानक गेट खोल दिए जिससे बाढ़ की स्थिति बनी। जिससे ओंकारेश्वर में बहुत से लोग बेघर हो गए तो वहीं लोगों की दुकानों में रखा लाखों का सामान भी बह गया।

पूरे मामले पर सफाई देते हुए जिला कलेक्टर अनूप कुमार ने बताया कि नर्मदा के कैचमेंट एरिया में भारी बारिश के चलते ऐसी स्थिति बनी। जिसके चलते ओंकारेश्वर बांध के गेट खोले गए। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर शहर और मंदिर का एरिया बांध के करीब होने से ज्यादा समय नहीं मिलता। राजस्व की टीम भेज कर नुकसान का सर्वे करेंगे। फिलहाल बेघर हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। वहां उनके भोजन की व्यवस्था भी की गई है।