मध्यप्रदेश में एक बार फिर किसान शिवराज सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिव कुमार ‘कक्काजी’ ने ओलावृष्टि-आंधी से प्रभावित फसलों का मुआवजा, गेहूं-चना, प्याज, आलू के निर्यात से रोक हटाने, समर्थन मूल्य बढ़ाने समेत 34 मुद्दों पर वे 1 से 7 जून के बीच प्रदेशभर में दूध और फल-सब्जी की सप्लाई नहीं करने की चेतावनी दी है। तब भी मांगें पूरी नहीं हुई तो किसान दिल्ली कूच करेंगे।
सोमवार को भोपाल में उन्होंने आंदोलन की रूपरेखा बताई। कहा कि नकली खाद, बीज-कीटनाशक का मध्यप्रदेश बड़ा हब बन गया है। सीमांकन, बंटान, फौती आदि के 16 लाख प्रकरण में पेंडिंग पड़े हैं। सीमांकन की नई मशीन अच्छा काम करती है, लेकिन वह विवाद खड़ा कर रही है। मार्च में पूरे प्रदेश में बारिश, ओलावृष्टि और तेज आंधी चली। इससे गेहूं की फसलें बर्बाद हो गई है। अधिकांश जगहों पर गेहूं की सूखी फसल खड़ी थी। इससे दाना कमजोर हो गया है। इसलिए सरकार सर्वे कराने के बाद जल्द ही किसानों को मुआवजा राशि दें। वहीं, एफएक्यू के पैमाने पर थोड़ी नरमी बरती जाए।
कपास के रेट गिरे, निर्यात से रोक हटे
राष्ट्रीय अध्यक्ष कक्काजी ने कहा कि निर्यात से रोक हटाए। कपास के निर्यात पर रोक लगने से मूल्य काफी गिर गए हैं। रोक हटने से किसानों को लाभ मिलेगा। किसानों की ऋणमुक्ति की जाए। राष्ट्रीय संगठन मंत्री रविदत्त सिंह, सह संगठन मंत्री राहुल राज, कार्यकारिणी सदस्य संतोष राठौर, प्रदेश अध्यक्ष नारायण खैरवा, प्रदेश महामंत्री त्रिलोद गोठी, उपाध्यक्ष ओम राजोरिया, संगठन मंडी बहादुरसिंह सिसौदिया, महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष अनुष्का रघुवंशी, मध्यभारत प्रांत अध्यक्ष मनमोहन रघुवंशी, भोपाल महानगर अध्यक्ष संतोष त्रिपाठी आदि भी मौजूद थे।
किसानों की यह मांगें
- ओलावृष्टि, बारिश और तेज आंधी से प्रभावित फसलों का मुआवजा जल्द ही किसानों को दिया जाए। वहीं, पूर्व में लंबित राशि खातों में डाली जाए।
- पीड़ित किसानों से ऋण की किश्त नहीं वसूली जाए। यह तारीख बढ़ाकर 31 मई की जाए।
- मंडियों में गेहूं, चना, प्याज, आलू और कपास समर्थन मूल्य से नीचे बिक रहा है। इनके निर्यात पर लगी रोक तत्काल प्रभाव से हटाई जाए।
- किसानों से बिजली के बकाया बिल की अमानवीय ढंग से चल रही वसूली को तत्काल रोका जाए।
- सभी किसानों को दो लाख रुपए तक के कृषि ऋण से मुक्त किया जाए।
- कृषि यंत्र, उपकरण और खाद-कीटनाशक को जीएसटी से मुक्त रखा जाए।
- प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर लगे सभी मुकदमे वापस लिए जाए।
- भू-अर्जन कानून वापस लिया जाए। वहीं, भूमि अधिग्रहण पर चार गुना मुआवजा दिया जाए।
- पट्टेधारी किसान जो 60 से 70 वर्ष से खेती कर हरे हैं, उन्हें हटाया जा रहा है। यदि उनमें आपस में कोई विवाद नहीं है तो उन्हें वही व्यवस्थित किया जाए।
- मंडी के चुनाव सीधे किसानों द्वारा करवाए जाए।
- डीजल पर लिया जा रहा टैक्स समाप्त हो और किसानों को 50 रुपए प्रतिलीटर के हिसाब से डीजल दिया जाए।
- नकली खाद-बीज और कीटनाशक निर्माता-विक्रेताओं के विरुद्ध कार्रवाई हो। इसके लिए कानून बनाया जाए।
- कृषि कार्य के लिए कम से कम 12 घंटे बिजली मिले। वहीं, सभी किसानों के 50 प्रतिशत बिजली बिल माफ हो।
- 60 साल से अधिक आयु के किसान, मजदूर, घरेलू-कामकाजी महिलाओं, अशक्तजनों को प्रति माह 4 हजार रुपए की सम्मान निधि की राशि प्रदान की जाए। जिसमें महंगाई के अनुपात में वृद्धि हो।