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इकोनॉमी में डिजिटल इंडिया को झटका! नकदी का इस्तेमाल रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा

वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में नकदी का इस्तेमाल जीडीपी के 14.7 फीसदी तक चला गया है, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है. नोटबंदी वाले साल में कैश-जीडीपी अनुपात काफी कम था और उसके बाद यह बढ़ता ही गया है.

मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा डिजिटल बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन हाल में रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़े इस अभियान को तगड़ी चोट पहुंचाते दिख रहे हैं. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में नकदी का इस्तेमाल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 14.7 फीसदी तक चला गया है, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है.

नोटबंदी वाले साल में कैश-जीडीपी अनुपात काफी कम था और उसके बाद यह बढ़ता ही गया है. भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले हमेशा नकदी और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 12 फीसदी से कम रहा है.

नोटबंदी से घटा था अनुपात

नोटबंदी की वजह से वित्त वर्ष 2016-17 में नकद-जीडीपी अनुपात महज 8.67 फीसदी रह गया था. लेकिन यह गिरावट थोड़े समय की साबित हुई. साल 2019-20 में कैश-जीडीपी अनुपात बढ़कर 12.03 फीसदी पहुंच गया. अब यह रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है.

कैश-जीडीपी अनुपात बढ़ने की एक वजह यह भी है कि साल 2020-21 में नकदी के चलन में 17.2 फीसदी की बढ़त हुई है, जो कि एक साल पहले 14 फीसदी ही था. नोटबंदी के पहले देश में सर्कुलेशन में रहने वाली कुल नकदी 16.63 लाख करोड़ रुपये की थी, जो कि 2020-21 में बढ़कर 28.60 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई. दूसरी तरफ साल 2020-21 में कोविड की वजह से जीडीपी में काफी गिरावट आई. जानकारों का अनुमान है कि अभी कुछ समय तक कैश-जीडीपी अनुपात ज्यादा ही रहेगा.

500 के नोट सबसे ज्यादा

रिजर्व बैंक के अनुसार सर्कुलेशन में रहने वाले करेंसी नोट में से सबसे ज्यादा 31.1 फीसदी हिस्सा 500 रुपये के नोट का है. इसके बाद 23.6 फीसदी हिस्से के साथ 10 के नोट दूसरे स्थान पर हैं.