फारूक अबदुल्ला ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान कश्मीर में मारे गए निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद अल्पसंख्यक में डर का माहौल बना है जिस को दूर करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में अल्पसंख्यकों पर आतंकियों द्वारा लगातार हमले किए गए हैं. कई की दिन दहाड़े हत्या कर दी गई है. इन बढ़ती वारदातों की वजह से घाटी में फिर पलायन का दौर शुरू होता दिख रहा है. अल्पसंख्यक समुदाय के मन में डर बैठ गया है. अब एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने उस चिंता को समझा और एक बड़ा बयान दे दिया है.
अल्पसंख्यकों को फारूक का संदेश
फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान कश्मीर में मारे गए निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद अल्पसंख्यक में डर का माहौल बना है जिस को दूर करना हम सबकी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कश्मीरी पंडित हमेशा कश्मीर में रहे हैं और रहेंगे. वैसे बातचीत के दौरान एनसी से नेताओं के हो रहे पलायन पर भी सवाल दागे गए थे. उन सवालों पर फारूक ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. उनके मुताबिक कुछ नेताओं के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
क्यों बदलने लगा घाटी का माहौल?
जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ दिनों में घाटी में आतंकी हमलों में इजाफा हो गया है. कई सिविलियन की हत्या की गई है. इसी वजह से अल्पसंख्यक के मन में 90 वाले दौर का डर वापस आ रहा है. कई लोग जम्मू में शरण लेने का प्रयास कर रहे हैं. खबर तो ये भी है कि कई लोग इस समय अपने काम पर वापस नहीं लौटना चाहते हैं. इसी वजह से घाटी में फिर खौफ का माहौल देखने को मिल रहा है और इसी को रोकने के लिए फारूक अब्दुल्ला सभी से एकजुट होने की अपील कर रहे हैं.
वैसे घाटी में हमले अक्टूबर महीने में ज्यादा देखने को मिले हैं. जब से पुछ में पांच जवान शहीद हुए हैं, सेना का ऑपरेशन भी ज्यादा तेज हो गया है. कई आतंकियों का सफाया कर दिया गया है और उनकी धरपकड़ का सिलसिला अभी भी जारी है.