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डिस्काउंट देने के बहाने ई-कॉमर्स कंपनियां कर रहीं धोखा? CAT का सभी सीएम को पत्र

पत्र में कहा गया है कि बड़े ई-टेलर्स साल भर “त्योहार बिक्री” का आयोजन करते हैं और ग्राहकों को लुभाने के लिए 10% से 80% तक की उच्च छूट देते हैं जो और कुछ नहीं बल्कि कृतिम मूल्य निर्धारण है जो एक जानबूझकर पैदा की गई विसंगति है

कोरोना के बीच देश फिर कई त्योहारों से गुलजार होने वाला है. तमाम तरह की तैयारियां की जा रही हैं. ई-पोर्टल कंपनियां भी अपनी-अपनी साइट पर ग्राहकों को भारी डिस्काउंट दे रही हैं. कई जगह पर तो 80 फीसदी तक की छूट दी जा रही है. अब एक तरफ ऐसा कर ग्राहकों को तो लुभाने का प्रयास है, लेकिन कई कारोबारी इस बिजनेस कल्चर से नाराज हैं.

ई-कॉमर्स कंपनियों से नाराज व्यापारी

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र भेजा है. जोर देकर कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने पोर्टल पर बेचे जाने वाले सामान को वास्तविक बाजार कीमत से काफी कम दामों पर बेचते हुए रही सरकारों और केंद्र सरकार को जीएससटी राजस्व की बड़ी चोट पहुंचा रही हैं.

पत्र में कहा गया है कि बड़े ई-टेलर्स साल भर ‘त्योहार बिक्री’ का आयोजन करते हैं और ग्राहकों को लुभाने के लिए 10% से 80% तक की उच्च छूट देते हैं जो और कुछ नहीं बल्कि कृतिम मूल्य निर्धारण है जो एक जानबूझकर पैदा की गई विसंगति है जिससे सरकारों को जीएसटी राजस्व का भारी नुकसान होता है. मुख्यमंत्रियों से मांग की गई है कि वे अपने-अपने जीएसटी विभागों को इन कंपनियों के बिक्री पैटर्न की पर्याप्त जांच करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दें.

प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों को लागू करने की मांग

इसके अलावा मांग उठाई गई है कि अब केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत सक्रिय कर दिया जाए. तर्क दिया जा रहा है कि अब देश को ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार से मुक्त कर देना चाहिए. अभी के लिए जानकारी मिली है कि कैट ने सभी मुख्यमंत्रियों से बातचीत के लिए समय मांगा है. वे अपील कर रहे हैं कि उनके इन मुद्दों पर तुरंत चर्चा शुरू होनी चाहिए और कोई स्थाई समाधान निकलना चाहिए.

किस बात पर है विवाद?

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि कई विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां प्रति वर्ष विभिन्न प्रकार के ‘सेल्स फेस्टिवल’ आयोजित कर रही हैं जिनमें अविश्वसनीय छूट दी जाती है जो बाजार कीमतों की तुलना में कीमत को कृत्रिम रूप से कम कर देती है. उनके मुताबिक विदेशी कंपनियां केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) व्यापार के लिए ही अधिकृत हैं, लेकिन यहां पर बिजनेस टू कंज्यूमर (बी2सी) बिक्री की जा रही है. ऐसे में सरकार से इन तमाम कंपनियों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की गई है.