अहमदाबाद। लौहपुरुष सरदार पटेल की दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनकर तैयार है। विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच साधुबेट टापू पर बनी 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का निर्माण 42 माह के रिकॉर्ड समय में हुआ है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका उद्घाटन वे सरदार जयंती पर 31 अक्टूबर को करेंगे।
नर्मदा नदी की कल-कल लहरों के बीच सात मंजिला इमारत के बराबर ऊंची यह प्रतिमा 85 फीट लंबे पैरों पर खड़ी है। इसके होंठ की मोटाई भी एक आदमी की लंबाई के बराबर करीब छह फीट है।
19 हजार, 700 वर्ग मीटर में फैली इस परियोजना के साथ करीब 17 किलोमीटर लंबे तट पर फूलों की घाटी तैयार की गई है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगी। पर्यटक लिफ्ट के जरिए सरदार के हृदय तक पहुंच सकेंगे। 153 मीटर लंबी गैलरी से एक साथ दो सौ पर्यटक प्रतिमा को निहार सकेंगे।
चार धातुओं से मिलकर बनी इस प्रतिमा को जंग छू भी नहीं सकेगा। इसके निर्माण में 85 प्रतिशत तांबा का उपयोग किया गया है। वरिष्ठ शिल्पकार राम सुतार और उनके पुत्र अनिल ने प्रतिमा के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आम आदमी के दिल में बसे सरदार का लुक देने के लिए भारत से लेकर अमेरिका और चीन तक के शिल्पकारों ने मशक्कत की।
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बनी सरदार पटेल की प्रतिमा को सरदार के व्यक्तित्व के करीब पाकर उस डिजाइन पर ही इसका निर्माण शुरू हुआ। एयरपोर्ट पर बनी प्रतिमा के निर्माण में तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री और राकांपा नेता प्रफुल पटेल का अहम योगदान था।
अमेरिकी आर्किटेक्ट माइकल ग्रेस और टनल एसोसिएट ने भारतभर में शोध करने के बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का फाइनल मॉडल तैयार किया। प्रधानमंत्री मोदी की नजर शुरू से इस प्रोजेक्ट पर रही है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए इसके निर्माण की घोषणा खुद मोदी ने की थी।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाएं
182 मीटर — स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, भारत
128 मीटर — स्प्रिंग टेंपल बुद्धा, चीन
93 मीटर — स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, अमेरिका
प्रतिमा में लगा है
70000 टन सीमेंट
22500 टन स्टील
1700 मीट्रिक टन तांबा
6,5 तीव्रता के भूकंप को सहन कर सकती है
220 किमी प्रति घंटा हवाओं को सह सकती है