देशहोम

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की शताब्दी गरिमा, सुशासन और विकसित भारत की अनंत प्रेरणा -डॉ. पंकज शुक्ला

“संपादकीय”

जब हम भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म शताब्दी वर्ष के अंतिम चरण में खड़े हैं, यह क्षण केवल अतीत को स्मरण करने का नहीं, बल्कि भविष्य के लिए उनके आदर्शों को हृदय में संजोने और उन्हें जीवन में उतारने का है। अटल जी का जीवन भारतीय राजनीति की उस दुर्लभ परंपरा का प्रतीक है, जिसमें गरिमा, संवाद, संयम, सहिष्णुता और राष्ट्रप्रथम सर्वोपरि रहे। वे ऐसे नेता थे जिन्होंने विरोधियों को भी सम्मान दिया, असहमति को सकारात्मक बनाया और राजनीति को नैतिकता का पवित्र माध्यम माना।

उनकी विरासत आज भी हर भारतीय के मन में एक ज्योति की तरह प्रज्ज्वलित है, विशेषकर मध्य प्रदेश में—उनकी जन्मभूमि ग्वालियर में, जहाँ उनकी स्मृति जन-जन के हृदय में बसी है। भोपाल में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय उनकी दूरदृष्टि का जीवंत प्रमाण है, जो हिंदी माध्यम से उच्च शिक्षा को सशक्त बनाकर देश की सांस्कृतिक आत्मा को मजबूती प्रदान कर रहा है।

मैं, डॉ. पंकज शुक्ला, ग्राम्य के संस्थापक, चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, Association for Sustainable Rural Empowerment (ASRE) के अध्यक्ष तथा Karate Association of India के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में, अटल जी के ‘सुशासन’ के आदर्शों से गहराई से जुड़ा रहा हूँ। ग्राम्य और ASRE के माध्यम से हम ‘समृद्ध ग्राम, समृद्ध भारत’ के संकल्प को साकार करने हेतु निरंतर कार्यरत हैं। ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, कृषि उन्नयन, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और युवा कौशल विकास—ये सभी प्रयास अटल जी की उसी दूरदर्शिता से प्रेरित हैं, जिसने ग्रामीण भारत को सड़कों, बिजली, जल और संचार की क्रांति के माध्यम से राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ा।

आज हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं—ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता, स्वरोजगार और उद्यमिता को प्रोत्साहित कर, ताकि विकास का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। कराटे एसोसिएशन ऑफ इंडिया में मेरी भूमिका ग्रामीण युवाओं को अनुशासन, आत्मविश्वास, शारीरिक सुदृढ़ता और नेतृत्व गुण प्रदान करने की है। यह कार्य अटल जी के उस दृष्टिकोण से पूर्णतः जुड़ा है, जिसमें एक सशक्त भारत के लिए स्वस्थ शरीर और मजबूत मन अनिवार्य माने गए।

अटल बिहारी वाजपेयी जी का सार्वजनिक जीवन स्वतंत्र भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण और परिवर्तनकारी कालखंडों से होकर गुजरा। 1950 के दशक से लेकर 2004 तक, उन्होंने राजनीति को सत्ता का खेल नहीं, बल्कि राष्ट्रसेवा का पवित्र दायित्व माना। उनका ऐतिहासिक वक्तव्य—“सरकारें आएँगी-जाएँगी, पार्टियाँ बनेंगी-बिगड़ेंगी, लेकिन देश रहना चाहिए”—आज भी भारतीय लोकतंत्र का नैतिक आधार है और यह हमें स्मरण कराता है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा कभी भी राष्ट्रहित से ऊपर नहीं हो सकती।

प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी। 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षणों ने भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा को अटल आधार प्रदान किया। इसके बावजूद, उन्होंने शक्ति का प्रयोग शांति के उद्देश्य से किया। 1999 की लाहौर बस यात्रा इस बात का प्रमाण थी कि सच्ची ताकत संवाद, विश्वास और साहस में निहित होती है।

उनके कार्यकाल में स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना ने भारत को भौगोलिक रूप से जोड़ा, ग्रामीण सड़क विकास ने गाँवों को शहरों से जोड़ा, दूरसंचार क्रांति ने सूचना का लोकतंत्रीकरण किया और राष्ट्रीय राजमार्ग विकास ने अर्थव्यवस्था को नई गति दी। मध्य प्रदेश में इन परियोजनाओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा प्रदान की—किसानों को बाजार तक पहुँच मिली, व्यापार बढ़ा और लाखों परिवारों का जीवन स्तर बेहतर हुआ।

आगामी 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा खजुराहो में केन–बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास तथा ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट का उद्घाटन अटल जी की दीर्घकालिक विकास दृष्टि का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ये परियोजनाएँ मध्य प्रदेश के लाखों किसानों को सिंचाई, पेयजल और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराएँगी। इसके साथ ही राज्य में 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों का शिलान्यास सुशासन को जमीनी स्तर पर और सुदृढ़ करेगा—यह अटल जी के प्रशासनिक स्वप्न को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इंदौर में आयोजित ‘शून्य से शतक’ कार्यक्रम सहित राज्यभर के आयोजन उनकी शताब्दी को जनसहभागिता के साथ जीवंत बनाए हुए हैं।

अटल जी केवल राजनेता नहीं थे; वे एक संवेदनशील कवि और गहन विचारक भी थे। उनकी कविताएँ राष्ट्रप्रेम, संघर्ष, आशा और मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत हैं। उनकी प्रसिद्ध पंक्तियाँ—“हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा, काट के सदा आगे बढ़ता चलूँगा”—आज भी युवाओं को हर चुनौती के सामने साहस, संकल्प और दृढ़ता की प्रेरणा देती हैं।

आज के समय में, जब सार्वजनिक विमर्श में ध्रुवीकरण और कटुता बढ़ रही है, अटल जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि असहमति को सम्मान के साथ व्यक्त किया जा सकता है, विरोध को भी रचनात्मक बनाया जा सकता है और राजनीति को नैतिकता तथा संवैधानिक मूल्यों से जोड़ा जा सकता है। उनकी शताब्दी यह स्पष्ट संदेश देती है कि विकसित भारत का सपना केवल आर्थिक प्रगति से नहीं, बल्कि मूल्यों, सहिष्णुता, संवाद और सुशासन से ही साकार होगा।

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत की चेतना, लोकतंत्र और आत्मविश्वास में सदैव जीवित रहेंगे। उनकी जन्म शताब्दी हमें स्मरण कराती है कि सच्ची राजनीति वही है जो राष्ट्र को जोड़े, समाज को सशक्त बनाए और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भारत का निर्माण करे। उनके आदर्श आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं—आइए, हम सब मिलकर उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लें।

-डॉ. पंकज शुक्ला
(Chairman & CMD – Gramya | President – ASRE | Vice President – Karate Association of India)