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रिफ्यूजी के दर्द और संघर्ष को दिखाती हैं नेटफ्लिक्स की ये फिल्में, क्या देखी आपने?

20 जून, 2020 को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे है. इस खास मौके पर बता रहे हैं उन फिल्मों के बारे में जिसमें शरणार्थियों का दर्द बयां किया गया है.

किसी भी देश में किसी को भी शरणार्थी बन कर रहना पसंद नहीं होता, मगर हालात उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर देते हैं. दुनिया में ना जाने कितने ऐसे लोग हैं जो बड़ी-बड़ी जंगों में अपनी जमीन-जायदाद सब गवां बैठे और दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो गए. जिन्हें अपना मुल्क छोड़ दूसरे मुल्क में जाकर शरण लेनी पड़ी. 20 जून, 2020 को वर्ल्ड रिफ्यूजी डे है. इस खास मौके पर बता रहे हैं उन फिल्मों के बारे में जिसमें शरणार्थियों का दर्द बयां किया गया है.

1- बीस्ट ऑफ नो नेशन- ये 2015 में रिलीज हुई अमेरिकन मूवी है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक मासूम लड़का अगू जो अपने परिवार के साथ छोटे से गांव में रहता है, जंग में अपने देश को बचाने के लिए छोटी उम्र में ही सैनिक बन जाता है. इस कहानी को बड़ी बारीकी से फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि छोटी सी उम्र में एक बच्चे के अंदर संवेदनशीलता आ जाती है और जो बाद में लेकर आती है उसके अंदर एक आक्रोश. ये आक्रोश देश के प्रति उस छोटे से लड़के की भावना का प्रतिबिंब होती है.

अमेरिका में इसे थियेटर में ज्यादा जगह नहीं मिली और बॉयकॉट का सामना भी करना पड़ा था. मगर अंत में फिल्म को नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया.

2- फर्स्ट दे किल्ड माई फादर- ये फिल्म 2017 में रिलीज हुई थी. ये फिल्म एक बायोग्राफिकल हिस्ट्री थ्रिलर फिल्म थी. फिल्म में उंग नाम के एक 5 साल के बच्चे की कहानी दिखाई गई है जिसे जबरदस्ती सैनिक बनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. फिल्म का निर्देशन एंजलीना जोली ने किया था. इसकी कहानी वियतनाम वॉर के दौरान की कहानी है. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं दिखा पाई थी मगर फिल्म को क्रिटिक्स से अच्छा रिस्पॉन्स मिला था. इसके अलावा फिल्म कंबोडियन सिनेमा की ओर से ऑस्कर के लिए भी भेजी गई थी मगर नॉमिनेशन में जगह नहीं बना सकी थी.

3- बॉर्न इन सीरिया- ये फिल्म 6 नवंबर, 2016 को रिलीज की गई थी. सीरिया में चल रही हिंसा पर ये फिल्म बनाई गई थी. साल 2011 के मुताबिक करीब 9 मिलियन लोगों को सीरिया में अपना घर छोड़ना पड़ा था. इसमें से आधे तो बच्चे ही थे. ये बच्चे इतनी विपरीत परिस्थितियों में गुजारा करने के काबिल नहीं थे. फिल्म के निर्माता-निर्देशक Hernán Zin थे.