देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नियंत्रण में लाने और सऊदी अरब के मनमाने तरीके से कच्चे तेल कीमतें ऊंची बनाए रखने से बचाव के लिए सरकार अमेरिका और अफ्रीका से क्रूड ऑयल की खरीद बढ़ाएगी. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आायातक है.
सऊदी अरब की ‘अनडिप्लोमेसी’
मोदी सरकार ने सऊदी अरब से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था, ताकि इसकी मांग में कमी लाई जा सके और कीमतें नीचे आ सकें. इससे पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा था कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतें विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था के लिए कोविड-19 के बाद की स्थिति से उबरने में बाधक हैं. इस पर सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान ने भारत को सलाह दी थी कि भारत को 2020 में कीमतें गिरने के दौरान खरीदे गए कच्चे तेल के स्टॉक का उपयोग करना चाहिए. प्रधान ने उनके इस जवाब को ‘अनडिप्लोमेटिक’ बताया था.
अमेरिका, अफ्रीका से खरीद बढ़ाने के निर्देश
इस बीच सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को अमेरिका और अफ्रीका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने के लिए कहा है और सऊदी अरब पर कच्चे तेल की निर्भरता को एक तिहाई तक कम करने के लिए कहा है. सरकारी तेल कंपनियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कंपनियां हर महीने सऊदी अरब को औसतन 1.48 करोड़ बैरल कच्चे तेल का ऑर्डर देती हैं. लेकिन इस बार मई के लिए 95 लाख बैरल का ही ऑर्डर दिया गया है.
ब्राजील, गुएना, नॉर्वे से भी क्रूड लाने का विचार
सूत्रों के मुताबिक सऊदी अरब से तेल आयात में कटौती के बाद देश में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए ब्राजील से टुपी ग्रेड, गुएना से लिजा और नॉर्वे से जोहन स्वेरड्रप कच्चा तेल लाने की संभावना पर भी विचार हो रहा है.
देश में पेट्रोल-डीजल को लेकर हाहाकार
देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर बनी हुईं हैं. बीते साढ़े चार महीने में कच्चे तेल की कीमतें 80% बढ़कर 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं. पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है, जब भी कच्चे तेल की कीमतें 67 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती हैं पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर होने की संभावना रहती है.
पेट्रोल-डीजल और एलपीजी पर केन्द्रीय करों में कटौती कभी भी सरकार का विकल्प नहीं रही है. इसकी वजह कोविड-19 संकट के बाद से सरकार देश के राजकोषीय घाटे को पाटने की कोशिश कर रही है जो 2020-21 में 18.48 लाख करोड़ , जीडीपी का 9.5% रहने की उम्मीद है. लेकिन इसी के साथ एक समस्या महंगाई को नियंत्रित करने की भी है जो जनवरी के 5.3% से बढ़कर फरवरी में 5.6% हो गई.