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लाकडाउन खुलने के बाद भी रेडिमेड गारमेंट्स पटरी पर नही लौट पायेगा कि चिंता में व्यापारी- सरकार से राहत की मांग- अक्षय जैन

इंदौर। कोरोना महामारी के चलते लागू लाकडाउन की सीमा कुछ हफ़्तों में समाप्त भी हो जाये लेकिन शारीरिक दूरी ओर स्वास्थ्य मानकों का पालन करने धर्म का निर्व्हन करने की वजह से रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग की हालात बेहद चिंताजनक हो जाएगी।

गारमेंट्स इकाईया रोजगार मुहैया करने वाला उद्योग है । लाकडाउन के चलते शारीरिक दूरी ओर स्वास्थ्य मापदंड की वजह से रेडीमेड वस्त्र व्यापार में क्रेता आभाव बन जायेगा। रिटेलर्स के यहां जब खरीददार नही तो फैक्टियों में तैयार माल अपनी जगह पर ही बना रहेगा और सीजन बदलते वह डेट स्टॉक हो जाएगा। आर्थिक पहिया पूरा चक्का जाम हिने के चलते व्यवसायिक देनदारियां लंबित होगी ।
गारमेंट्स सेक्टर उद्योग की जमीनी हकीकत यह है कि यह व्यापार छोटे छोटे समुदाय के पालन पोषण करता है । इस व्यापार की आर्थिक पटरी आपसी लेनदेन समय सीमा पर रोटेशन पद्धति से चलती है लेकिन लाकडाउन के चलते यह रोटेशन का पहिया जाम हो चला है जिसका सीधा असर बैकिंग कर्ज ईएमआई , किराया , बिजली बिल, जीएसटी, व्यवसायिक मेंटेनेंस के सभी आर्थिक मोर्चा पर पड़ेगा । मार्च अप्रेल मई इन तीन माह में वैवाहिक ओर रमजान के बड़े सीजन का तैयार माल डेट स्टॉक हो गया, जो आड़र की सप्लाय की गई वह भी। बड़े पैमाने पर गुड़स रिटर्न होगी या फिर पेमेंट लंबित हो जाएगी। जिससे इस उद्योग को निश्चित रूप से बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पडेगा। गारमेंट्स उद्योग का रिटेल सेक्टर को पटरी पर आने में लगभग छह से आठ माह का वक्त लग सकता है । विदित रहे कि मध्य प्रदेश गारमेंट्स एसोशिएशन के सचिव आशीष निगम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस बाबत ध्यान आकर्षित कर चुके है । प्रवक्ता अक्षय जैन बताया कि अगर सरकार ने इस उद्योग को बचाने और जीवित रखने के लिए कोई राहत पैकेज नही दिया और कर्ज – ब्याज को माफ करने लंबित रखने का कोई प्रावधान नहीं दिया तो वह जनहित याचिका लागयेगे । प्रवक्ता अक्षय जैन ने मांग की है कि एक वर्ष तक सभी उधमियों को किश्त बिना ब्याज लंबित करे। सभी टैक्स ओर व्यापर को संजीवनी देने के लिए अतिरिक्त बिन ब्याज कर्ज प्रावधान करे।