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देवास कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने क्यो किये नियम शिथिल, जिम्मेदारों की लचीली व्यवस्था से देवास समा रहा है कोरोना वायरल के जाल में

अमित बागलीकर की कलम से
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देवास कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक ने क्यो किये नियम शिथिल
जिम्मेदारों की लचीली व्यवस्था से देवास समा रहा है कोरोना वायरल के जाल में

देवास। कोरोना संक्रमण के बीच शहर में जान की बाजी लगाकर मुस्तैदी से सड़क से लेकर चौराहों तक और अति संवेदनशील कोरेंटाइन क्षेत्र में ड्यूटी करने वाले पुलिस जवानों और अफसरों के तेवर इन दिनों नरम पड़ते दिखाई दे रहे हैं।कारण जिले के कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक बखूबी जानते है।पूरे मध्यप्रदेश में लॉक डाउन चल रहे है जिसमे सख्ती से नियमो का पालन करवाया जा रहा है।लेकिन देवास
शहर में लॉकडाउन की स्थिति बदली बदली सी है। प्रारंभ में अफसरों की हौंसला बढ़ाने वाली गतिविधियों और लोगों को नियमों का पालन कराने के लिये दी गई छूट के चलते शहर की सड़को सहित फील्ड में काम करने वालों में उत्साह था जो अब ठंडा पड़ चुका है। समाचार लाईन द्वारा पूर्व में एडीशनल एसपी, सीएसपी, डीएसपी सहित थानेदारों को मुस्तैदी से कोरोना जैसी संक्रमण बीमारी से पैनिक नही होने के लिये हाथ जोड़ते व कई तरह से देखा गया । साथ ही इस दौरान लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस ने सख्त कार्रवाई भी की थी। अनेक लोगों को अस्थायी जेल चिमनाबाई स्कूल भी पहुंचाया था। परिणाम यह रहा कि लोगों का बेवजह सड़क पर घूमना बंद हो गया। लेकिन देवास के रेड झोन में आने के बाद देवास को भी 3 मई से 17 मई हुए लॉकडाउन के लिया बढ़ा दिया गया। अब चर्चा यह है कि पुलिस कांस्टेबल और हेडकांस्टेबल पर लॉकडाउन का पालन कराने के दौरान अफसरों द्वारा की गई कार्रवाई से पुलिस अधिक्षक कुछ नाखुश है जिसका मुख्य कारण यह भी हो बोला जा सकता है कि कलेक्टर, एसपी के तबादलों की सुरसुरी शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। वही पूर्व में पुलिस के जवानों के साथ एसपी, कलेक्टर ने शहर के विकास नगर स्थित पुलिस सहायता केन््रद पर राात्रि भोज के बाद अधीनस्थ अधिकारियों पर पुलिस कप्तान द्वारा की जा रही कार्यवाही पर नारजगी भी जताई थी अब ऐसा बोला जा सकता है कि इसके अलावा और भी कुछ कारण हो सकते है। इस तरह की खबर विभाग में फैलने के बाद अधिकांश पुलिस जवानों के तेवर भी नरम पड़ गये। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर सड़कों, अति संवेदनशील क्वारेंटाइन क्षेत्रों में, चैकपोस्ट, चौराहों पर ड्यूटी करने वाले जवानों और अफसरो का बढती संख्या के बाद बीमारी के भय से मनोबल भी गिरता जा रहा है। जिसके बाद से अब लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के साथ पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही। आने जाने वालों को रोक टोक कर घर पहुंचा दिया जाता है। वही पिछले 4 दिनों में कोरोना संक्रमित पॉजिटिव मरीजों का आकड़ा तेजी के बढने के बाद भी कलेक्टर, एसपी द्वारा शहर की सड़को पर नही आना पुलिस विभाग के पुलिस कांस्टेबल और हेडकांस्टेबल और जवानों का गिरता मनोबल भी यही एक कारण हो सकता है। अब अगर कलेक्टर, एसपी अभी भी नही ध्यान नही देगे तो अब वह दिन दूर नही की देवास भी संक्रमित पॉजिटिव मरीजों की संख्या में इंदौर और उज्जैन की गिनती से दूर हो।