पंजाब में 25 साल के बाद गठबंधन से अलग हुए बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरे थे. वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी को भी अपनी राजनीतिक ताकत का पता चल सकेगा. यही वजह है कि निकाय चुनाव पर पंजाब सहित देश भर के लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं.
पंजाब के 8 नगर निगम, 109 नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत के नतीजे आज आ रहे हैं. किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच पंजाब में किसी भी स्तर के चुनाव का ये पहला मौका है, जिसके चलते सभी सियासी दलों के लिए यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अगले साल की शुरुआत में ही पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसके चलते निकाय चुनाव को 2022 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है.
पंजाब में 25 साल के बाद गठबंधन से अलग हुए बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरे थे. वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी को भी अपनी राजनीतिक ताकत का पता चल सकेगा. यही वजह है कि निकाय चुनाव पर पंजाब सहित देश भर के लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं.
बता दें कि 2015 में अकाली दल और बीजेपी का गठबंधन सत्ता में था, तब स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन को ही जीत हासिल हुई थी और कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी थी. इस बार अकाली दल और बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद दोनों ही पार्टियां अकेले चुनाव मैदान में है. हालांकि, बीजेपी कई जगहों पर उम्मीदवार तलाशने में भी मुश्किल हुई है और पंजाब की आधी सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतार सकी है.
बीजेपी आधी सीटोंं पर लड़ी चुनाव
पंजाब के आठ नगर निगम,109 नगरपालिका और नगर पंचायतों के चुनाव में कुल 9222 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई है. इनमें 2,832 प्रत्याशी निर्दलीय हैं. वहीं, प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 2,037 उम्मीदवार, अकाली दल के 1,569, बीजेपी के 1,003 ,जबकि आम आदमी पार्टी के 1,606 उम्मीदवार मैदान में उतरे. कांग्रेस की तुलना में बीजेपी आधी सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ सकी है. किसान आंदोलन के चलते बीजेपी उम्मीदवारों को अपना प्रचार करने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
1996 में अकाली दल के साथ हाथ मिलाने के बाद बीजेपी और अकाली मिलकर चुनाव लड़ती आई हैं, लेकिन अब 24 साल पुराना गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी एकला चलो की राह पर है. बीजेपी ने पहले ही कह दिया था कि वो अब निकाय और 2022 के विधानसभा चुनाव में अकेले किस्मत आजमाएगी. यही वजह है कि बीजेपी ने निकाय चुनाव में 1003 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. हालांकि, बीजेपी का सियासी आधार पंजाब के शहरी इलाकों में रहा है. ऐसे में यह निकाय चुनाव बीजेपी के लिए काफी अहम माना जा रहा है.
किसान आंदोलन के बीच निकाय चुनाव
दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले साल जून में तीन कृषि कानून का प्रस्ताव अध्यादेश के तौर पर लाया और तब से पंजाब में बीजेपी नेताओं को विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है. पंजाब के किसान अपनी मांगों के साथ दिल्ली में सीमा पर विरोध प्रदर्शन तीन महीने से कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर पंजाब में बीजेपी नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जिसके चलते पार्टी नेताओं को, प्रत्याशियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
वहीं, यह चुनाव अकाली दल की किस्मत का भी फैसला करेगा, क्योंकि अभी तक अकाली बीजेपी के शहरी वोटों के सहारे निकाय चुनाव में जीत का परचम लहराती रही है. इस बार अकेले चुनाव में उतरी है तो उसकी खुद की परीक्षा होनी है. ऐसे ही आम आदमी पार्टी 2017 में विधानसभा चुनाव में जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी है, लेकिन एक-एक कर उसके नेता साथ छोड़ते गए हैं. यही वजह रही कि 2019 में उसे पंजाब में महज एक सीट मिली. ऐसे में निकाय चुनाव में उसे 2022 की ताकत का एहसास हो जाएगा.
2022 का सेमीफाइल माना जा रहा निकाय चुनाव
मार्च 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे देखते हुए राज्य के नगर निगम और नगर काउंसिल के चुनावों को 2022 का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है. इस चुनाव के बाद ही पंजाब में विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ जाएगी. ऐसे में स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे प्रदेश में राजनीतिक हवा का रुख तय करने वाले माने जा रहे हैं. निकाय चुनाव के नतीजे जमीनी स्तर पर राजनीतिक पार्टियों की पकड़ दशा और दिशा बताएंगे. यही वजह है कि कांग्रेस से लेकर विपक्ष की तमाम पार्टियों ने स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी.