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महाराष्ट्र के बाद पंजाब में कोरोना का कहर, पहली की तुलना में दूसरी लहर में ज्यादा मौतें

फरवरी के महीने में पंजाब में 8,706 मामले दर्ज किए गए, जबकि मार्च में हर रोज करीब एक हजार नए मामले सामने आ रहे हैं. पंजाब में 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच 392 मौतें हुई हैं, मृत्यु दर 4.5 फीसदी के करीब पहुंच गई है.

देश में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है. बीते 24 घंटे के अंदर अकेले महाराष्ट्र में 23 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र के अलावा पंजाब में भी कोरोना जानलेवा साबित हो रहा है. पंजाब इकलौता राज्य है, जहां फर्स्ट वेव की तुलना में सेकंड वेव में सबसे अधिक मौतें हो रही हैं, जबकि महाराष्ट्र में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा कम हो रहा है.

बीते दो दिनों में महाराष्ट्र के बाद पंजाब में सबसे अधिक लोगों ने कोरोना से जान गंवाई है. पंजाब में मंगलवार को 38 और बुधवार को 35 लोगों की मौत हुई है. पंजाब में मृत्यु दर बहुत अधिक है. पिछले साल के अंत तक राज्य में 1.66 लाख मामले सामने आए थे और 5,341 मौतें हुई थीं, यानी मृत्यु दर 3.21 प्रतिशत था.

फरवरी के महीने में पंजाब में 8,706 मामले दर्ज किए गए, जबकि मार्च में हर रोज करीब एक हजार नए मामले सामने आ रहे हैं. पंजाब में 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच 392 मौतें हुई हैं, मृत्यु दर 4.5 फीसदी के करीब पहुंच गई है. राज्य में पिछले एक सप्ताह में 194 मौतें हुई हैं, जबकि 217 मौतें पूरे फरवरी महीने में दर्ज की गईं.

पंजाब में कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश भास्कर का कहना है कि राज्य में उच्च मृत्यु दर इस तथ्य के कारण हो सकती है कि आबादी के एक बड़े हिस्से में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां थीं, जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप या मोटापा, जो संक्रमण के बाद जटिलताओं का कारण बनता है.

डॉ. राजेश भास्कर का कहना है कि अगर कोई दुर्घटना होती है और मरीज की मौत ट्रामा के कारण होती है, लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आती है इसे कोरोना वायरस मृत्यु के रूप में गिना जा रहा है, कोई अन्य राज्य ऐसा नहीं कर रहा है, पंजाब एक भी मौत नहीं छिपा रहा है.

पंजाब में मार्च के महीने में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पिछले 12 दिनों से हर रोज करीब एक हजार मामले सामने आ रहे थे, लेकिन बुधवार को नए मामलों की संख्या 2 हजार हो गई. पिछली बार राज्य ने 23 सितंबर को 2,000 से अधिक मामलों की रिपोर्ट की थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि जब जनवरी और फरवरी में मामलों में काफी कमी आई, तो लोग समझने लगे कि महामारी खत्म हो गई, लोग मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भूल गए, बड़े-बड़े आयोजन होने लगे, यह एक गलती थी, जिसकी वजह से कोरोना का कहर फिर से शुरू हो गया है.