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क्राउड कंट्रोल-वैक्सीनेशन को बढ़ावा: डॉ. गुलेरिया ने बताया कोरोना से लड़ने की रणनीति बदलने का आ गया है वक्त

देश में रोज़ आने वाले मामलों की संख्या एक लाख को पार कर गई है. ऐसे में जब पहले जैसा लॉकडाउन नहीं है, लोग लापरवाही भी बरत रहे हैं तो कोरोना की इस लहर से कैसे निपटा जाए. इसको लेकर एम्स डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया ने कुछ सुझाव दिए हैं.

देश में होली के त्योहार के पहले से ही कोरोना वायरस के मामलों में तेज़ी देखने को मिल रही थी. लेकिन अब ये तेज़ी बेकाबू हो गई है और रोज़ आने वाले मामलों की संख्या एक लाख को पार कर गई है. ऐसे में जब पहले जैसा लॉकडाउन नहीं है, लोग लापरवाही भी बरत रहे हैं तो कोरोना की इस लहर से कैसे निपटा जाए. एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का मानना है कि अब रणनीति बदलने का वक्त आ गया है, ताकि कोरोना को काबू में लाया जा सके.

अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए डॉ. गुलेरिया ने कहा कि इस बार सामने आने वाले आंकड़े चिंताजनक हैं. पहले लोगों में जो डर था, वो अब खत्म हो गया है. 80 हजार केस सामने आ रहे हैं, लेकिन फिर भी लोग छुट्टियां प्लान कर रहे हैं, बाहर बिना किसी प्रोटेक्शन के घूम रहे हैं.

एम्स डायरेक्टर ने कहा कि जहां भीड़ हो रही है, वो सुपर स्प्रेडर साबित हो रहे हैं. लोगों से भीड़ में जाने से बचना चाहिए, लेकिन अब ये रोकना मुश्किल नहीं है. ऐसे में हमें ही कुछ ऐसा तरीका निकालना होगा, ताकि कोरोना को कंट्रोल किया जा सके.

वैक्सीनेशन को लेकर क्या हो रणनीति?

वैक्सीनेशन की रफ्तार के बारे में डॉ. गुलेरिया ने कहा कि हमारा देश काफी बड़ा है, ऐसे में अगर हम एक साथ हर किसी को कोरोना की डोज़ देंगे तो हमें तुरंत ही दो अरब डोज़ चाहिए होंगी. डॉ. गुलेरिया के मुताबिक, अभी जिनके लिए वैक्सीनेशन चालू है उनमें से भी आधे लोग ही आ रहे हैं. ऐसे में हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितने लोगों को इजाजत है, उनमें अधिकतर से अधिकतर टीके लगवा लें.

डॉ. गुलेरिया बोले कि सिर्फ वैक्सीनेशन से काम नहीं होगा, कोरोना को रोकने के लिए कई उपाय हैं जिनमें से वैक्सीन एक है. अगर आप वैक्सीन देते हैं, तो उसके असर में कुछ वक्त लगता है. इनके साथ ही आपको टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर ज़ोर देना होगा. पहले ये हो रहा था, लेकिन अब कुछ ढिलाई हुई है.

आपको बता दें कि भारत में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. कई राज्य फिर से लॉकडाउन की ओर जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में बाहर निकल रहे हैं.