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तमिलनाडु: कान में बजती थी ‘घंटी’, 26 साल के शख्स की दुर्लभ बीमारी सर्जरी से हुई ठीक

वेंकट खुद बताते हैं कि पिछले दो साल से वो शायद ही कभी ठीक से सो पाए हों. वह अपनी पढ़ाई व काम पर भी ध्यान नहीं दे पाते थे. उन्हें हमेशा ऐसा प्रतीत होता था जैसे उनके कान में घंटी बज रही हो.

तमिलनाडु के 26 वर्षीय वेंकट पिछले दो साल से परेशान थे. वो ना ठीक से सो पाते थे और न ही अपने किसी काम में ध्यान लगा पाते थे. उन्हें टिन्निटस नामक की बीमारी थी. इस बीमारी में मरीज के कान में घंटी बजने या फिर कुछ अन्य किस्म की ध्वनियां महसूस होती हैं. लेकिन डॉक्टरों की मदद से वेंकट को दो साल बाद इस परेशानी से छुटकारा मिल पाया है.

वेंकट खुद बताते हैं कि पिछले दो साल से वो शायद ही कभी ठीक से सो पाए हों. वह अपनी पढ़ाई व काम पर भी ध्यान नहीं दे पाते थे. उन्हें हमेशा ऐसा प्रतीत होता था जैसे उनके कान में घंटी बज रही हो. पिछले दो सालों में वेंकट ने कई ईएनटी (कान, नाक, गला) डॉक्टरों के पास इलाज के लिए गए लेकिन हर बार उनकी रिपोर्ट में कोई असामान्य परिणाम सामने नहीं आता था. हाल ही में एक जांच के दौरान पता चला कि वेंकट को टिन्निटस नाम की बीमारी है.

एमजीएम हेल्थकेयर के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड स्पाइनल डिसऑर्डर के डॉयरेक्टर और ग्रुप ऑफ हेड डॉ. के श्रीधर ने वेंकट की इस बीमारी को दूर करने में मदद की. उन्होंने ही वेंकट की इस बीमारी के बारे में पता लगाया और वेंकट को फिर से सामान्य जीवन जीने में मदद की.

डॉ. श्रीधर ने वेंकट की एक स्पेशल सर्जरी की. इस सर्जरी को माइक्रोवैस्कुलर डिकंप्रेशन (एमवीडी) कहते हैं. यह भारत में पहली बार था जब एमवीडी सर्जरी का इस्तेमाल टिन्निटस नाम की बीमारी को ठीक करने के लिए किया गया. डॉ. श्रीधर ने बताया कि गहन परीक्षण के बाद यह सामने आया कि वेंकट को ऑडिटरी नर्व से परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि ये सर्जरी काफी एहतियात के साथ करनी होती है. अगर इस सर्जरी के दौरान चूक होती है तो मरीज सुनने की क्षमता खोने के साथ चेहरे की मांसपेशियों में भी कमजोरी हो सकती है.

सर्जरी होने के एक महीने बाद वेंकट बिल्कुल ठीक हैं. वो कहते हैं कि पिछले दो साल काफी मुश्किल भरे रहे हैं. मेरे जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी. मुझे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. मैं डॉक्टर श्रीधर का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मुझे इस परेशानी से बाहर निकाला.