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पांच साल में Ford सहित सात Auto फर्म बाहर, आख‍िर क्यों भारत छोड़ रहीं कंपनियां?

अमेरिकी कंपनी फोर्ड (Ford India) ने भी आख‍िरकार भारत से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया है. इसके साथ ही पिछले पांच साल के भीतर भारत से फोर्ड, हार्ले डेविडसन, फिएट, मान (MAN), पोलारिस, जनरल मोटर्स GM), यूनाइटेड मोटर्स (UM) मोटरसाइकिल्स जैसी सात प्रमुख ऑटो कंपनियां बाहर हो गई हैं. आइए जानते हैं इसकी वजह.

भारत से कारोबार समेटने वालों में तीन अमेरिकी कंपनियां हैं. वैसे तो कंपनियों के कारोबार बंद होने की अपनी अलग-अलग वजहें भी, लेकिन भारतीय बाजार को समझने की रणनीतिक चूक, घट‍िया और महंगी आफ्टर सेल्स सर्विस, नए मॉडल लाने में विफलता, स्पेयर पार्ट्स हर जगह उपलब्ध न होने आदि इसकी प्रमुख वजहें हैं.

अगर फोर्ड इंडिया (Ford India) का उदाहरण लें तो यह शुरू से ही दिक्कत में रही और भारत में कभी भी मुनाफे में नहीं आ पाई. भारत में वॉल्यूम सेगमेंट में जोर है यानी यहां छोटी कारों का जलवा है जिसके दम पर मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) और ह्यूंडै (Hyundai) राज कर रही हैं. फोर्ड ऐसा कोई उत्पाद नहीं ला सकी जिससे वॉल्यूम पर कब्जा कर सके. इसके अलावा इसके आफ्टर सेल्स सर्विस की भी काफी श‍िकायतें होती रहीं.

ऑटो एक्सपर्ट टुटू धवन कहते हैं, ‘नए उत्पाद लाने में नाकामी,खराब और महंगी आफ्टर सेल्स सर्विस, स्पेयर्स पार्ट्स हर जगह उपलब्ध न होने आदि की वजह से भारतीय कस्टमर्स ने फोर्ड को पसंद नहीं किया. कंपनी यहां 15 साल पुराने मॉडलों पर डिपेंड रही, जबकि बाकी कंपनियां हर 2-3 साल पर एक नया मॉडल लेकर आ जाती हैं. ऐसी सभी कंपनियां भारत में नहीं टिक पाएंगी जो इन कमियों को दूर नहीं कर पाती हैं.

यही हाल अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स की भी रहा. जनरल मोटर्स का Chevrolet ब्रैंड कभी भी खास बाजार हिस्सेदारी नहीं बना पाया. अमेरिकी कंपनियां सस्ते और वैल्यू आधारित उत्पाद लॉन्च करने में विफल रहींं. एक वजह यह भी है कि भारतीय कारोबार का अमेरिकी कंपनियों के कुल कारोबार और मुनाफे में योगदान बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए नुकसान होने पर वे बोरिया-बिस्तर समेट लेने में ही भलाई समझ रही हैं.

इटली की कार कंपनी Fiat की वर्षों से भारत में प्रतिष्ठा थी. वह एक बार पहले यहां अपना सिक्का जमा चुकी थी. इसी दम पर उसने फिर भारत में Punto, Linea जैसे उत्पाद उतारे थे. लेकिन दुबारा कंपनी को ज्यादा सफलता नहीं मिली और उसने साल 2020 में अपना उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया.

अमेरिकी यूनाइटेड मोटर्स (United Motors) ने लोहिया मोटर्स के साथ साझेदारी में भारत में कदम रखा था. लेकिन इसके मोटरसाइकिल्स भारतीयाें को पसंद नहीं आए और इनके खराब क्वालिटी की श‍िकायतें आईं, जिसकी वजह से यह कंपनी भारत में जम नहीं पाई.

अमेरिका के लग्जरी मोटरसाइकिल ब्रैंड Harley Davidson का जाना इसके भारतीय कद्रदानों को खल गया था. सितंबर 2020 से कंपनी ने अपना भारतीय कारोबार बंद कर दिया. यह काफी प्रीमियम सेगमेंट में है और इसके उत्पाद आयात के बाद काफी महंगे पड़ते थे जिसकी वजह से यह सफल नहीं हो पाई.

आयशर मोटर्स ने साल 2013 में अमेरिकी कंपनी Polaris के साथ गठजोड़ कर भारत में उसकी कारों की बिक्री शुरू की थी. लेकिन भारतीय ग्राहकों की जरूरतों को न समझ पाने की वजह से इस कंपनी Polaris को भी अपना कारोबार मार्च 2018 में समेटना पड़ा.

Volkswagen की ट्रक और बस निर्माता कंपनी मान MAN  को भी साल 2018 में भारत से अपना कारोबार समेटना पड़ा. यह कंपनी भारतीय बाजार की जरूरतों को नहीं समझ पाई और इसके उत्पाद यहां चल नहीं पाए. उसे भारत में टाटा और अशोक लीलैंड के उत्पादों से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा करनी पड़ी.

भारतीय बाजार में छोटे किफायती यानी कम दाम में बेहतर क्वालिटी वाले कारों, बाइक का दबदबा है. उदाहरण के लिए मारुति, हीरो और ह्युंडै को इसी वजह से काफी सफलता मिली है. जिसने इस सेगमेंट में उत्पाद लाने में देरी की, वह मुश्किल में फंस रहा है. जापानी कंपनी होंडा कार्स की परेशानी की भी यही वजह है. होंडा अभी भारत से बाहर नहीं गई है, लेकिन उसने ग्रेटर नोएडा का अपना प्लांट बंद कर दिया है और कंपनी मुश्किल में ही चल रही है.

होंडा, निसान, फॉक्सवैगन, स्कोडा जैसी अन्य कंपनियां भी भविष्य में निवेश को लेकर हिचकिचा रही हैं. कोरोना के बाद इस साल ऑटो कंपनियों को बिक्री में कुछ सुधार की उम्मीद थी, लेकिन चिप जैसे संकट की वजह से इस साल भी त्योहारी सीजन फीका रहने की आशंका है, ऑटो सेक्टर और इकोनॉमी के भविष्य को लेकर अभी लंबे समय की अनिश्चितता है. इसी वजह से फोर्ड के लिए उम्मीद नहीं बची थी.

अगर सब कुछ ठीक रहता तो साल 2020 में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार होता, लेकिन कोरोना संकट ने सब गड़बड़ कर दिया. फोर्ड ने कारें महंगी बनाई, लेकिन आफ्टर सेल्स सर्विस बहुत खराब थी, जिसकी वजह से उसे भारतीय उपभोक्ताओं ने पसंद नहीं किया. दूसरी तरफ किया मोटर्स, एमजी मोटर्स जैसी नई कंपनियों ने भारतीय बाजार को समझा और किफायती एसयूवी जैसे उत्पाद लॉन्च किए जिसकी वजह से उन्हें अच्छी सफलता मिलती दिख रही है.