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मनीष गुप्ता मर्डर केस: ‘इंस्पेक्टर ने मारा था पहला थप्पड़’, होटल में क्या हुआ था… चश्मदीद ने खोला राज

हरवीर सिंह ने कहा कि होटल में कमरा खुलवाने पर मारपीट की शुरुआत पहले दारोगा अक्षय और जेएन सिंह ने की थी, अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा, फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा था.

कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में चश्मदीद हरवीर सिंह ने अहम खुलासा किया है. आजतक से बात करते हुए हरवीर सिंह ने कहा कि होटल में कमरा खुलवाने पर मारपीट की शुरुआत पहले दरोगा अक्षय और जेएन सिंह ने की थी, अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा, फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा था.

दरअसल, कानपुर में एसआईटी टीम को बयान देने पहुंचे हत्याकांड के चश्मदीद मनीष गुप्ता के दोस्त हरवीर सिंह ने कहा कि मारपीट पहले दारोगा अक्षय मिश्रा और थानेदार जेएन सिंह ने शुरू की थी. हरवीर ने आजतक को घटना के बारे में बताते हुए कहा कि होटल में चेकिंग करने पहुंची पुलिस में मारपीट पहले दारोगा अक्षय मिश्रा और जेएन सिंह ने शुरू की थी.

हरवीर सिंह ने कहा कि अक्षय ने पहले मुझे थप्पड़ मारा फिर जेएन सिंह ने मनीष को थप्पड़ मारा, इसके बाद और पुलिसवाले कमरे में घुस आये और मारने लगे. हरवीर ने यह भी बताया कि मनीष का कमरा मैंने खुलवाया था. हरवीर का कहना है कि सरकार कदम उठा रही है, लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

SIT ने क्या-क्या पूछा

पूछताछ के दौरान एसआईटी ने हरवीर से पुलिस के होटल में आने, रूम का दरवाजा खटखटाने और उसको एक सिपाही के द्वारा कमरे के बाहर जबरन ले जाने के पूरे घटनाक्रम का बयान दर्ज किया. हरवीर के साथ प्रदीप सिंह से एसआईटी ने पूछताछ की कि कमरे में घुसते ही पुलिस ने किस तरह का बर्ताव किया और फिर बेड पर सो रहे मनीष से किस बात को लेकर बातचीत बहस में बदल गई.

एसआईटी की टीम ने हरवीर और प्रदीप से गोरखपुर जाने की वजह भी पूछी और मनीष गुप्ता को गोरखपुर बुलाने पर भी सवाल किया. एसआईटी की टीम हरविंदर प्रदीप से पूछताछ के बाद अब चंदन सैनी के दोबारा बयान दर्ज कर सकती है, जिसके बुलावे पर मनीष हरवीर और प्रदीप गोरखपुर गए थे.

क्या है पूरा मामला

27 सितंबर की देर रात गोरखपुर के कृष्णा होटल में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता अपने दोस्तों के साथ ठहरे हुए थे. इसी दौरान पुलिस उनके रूम में दाखिल हुई और सवाल-जवाब करने लगी. होटल में ही मनीष गुप्ता के साथ बुरी तरह से मारपीट की गई, जिसके चलते उनकी मौत हो गई.

पुलिस पर मामले की जांच के दौरान लीपापोती करने का भी आरोप लगा. जब परिवार वालों ने पुलिसवालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का दबाव बनाया, तब पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया. पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. फिलहाल इस मामले की जांच के लिए कानपुर पुलिस की एक एसआईटी गठित की गई है.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई से जांच की सिफारिश की है. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने मामले को टेक ओवर इसलिए नहीं किया है, क्योंकि एजेंसी को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से नोटिफिकेशन नहीं मिला है.