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कृष‍ि कानून: सैकड़ों किसानों की जान गई, इकोनॉमी को अरबों का नुकसान! अब हुआ समाधान

Farm Laws Repealed: किसान आंदोलन की वजह से कई बार धरना, चक्का जाम, रेल रोको जैसे कार्यक्रम किए गए. इन सबकी वजह से माल की आवाजाही में अड़चनें आईं और इकोनॉमी के कई सेक्टर को काफी नुकसान हुआ.

सरकार ने करीब 14 महीने के बाद तीन नए कृष‍ि कानूनों को वापस ले लिया है. इसके विरोध में करीब एक साल से किसान आंदोलन कर रहे थे. इस एक साल के आंदोलन में जहां सैकड़ों किसानों की जान गई, वहीं इकोनॉमी को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है.

गौरतलब है कि किसान आंदोलन की वजह से कई बार धरना, चक्का जाम, रेल रोको जैसे कार्यक्रम किए गए. इन सबकी वजह से माल की आवाजाही में अड़चनें आईं और इकोनॉमी के कई सेक्टर को काफी नुकसान हुआ.

क्या है इंडस्ट्री का अनुमान 

कुछ महीने पहले इंडस्ट्री चैम्बर एसोचैम (ASSOCHAM) ने यह अनुमान जारी किया था कि कृष‍ि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन से खासकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को हर दिन करीब 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. एसोचैम का कहना था कि ये सभी राज्य एक-दूसरे से जुड़े क्षेत्र में हैं और इनको सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है.

इसकी वजह यह है कि इन राज्यों की इकोनॉमी मुख्यत: खेती, फूड प्रोसेसिंग, कपास, फार्म मशीनरी, टूरिज्म, हॉस्पिटलिटी, ट्रांसपोर्ट  जैसे सेक्टर पर आधारित है. इस तरह यह माना जा सकता है कि पूरे एक साल में किसान आंदोलन से देश की इकोनॉमी को अरबों रुपये का नुकसान हुआ है.

सैकड़ों किसानों की मौत!  

इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान जानमाल का भी भारी नुकसान हुआ है. कई अनुमानों के मुताबिक किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसानों की जान गई. कुछ सड़क दुर्घटना में, कुछ बीमारी से मर गए तो कुछ ने आत्महत्या भी कर ली. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सितंबर, 2021 में ही यह दावा किया था कि किसान आंदोलन के दौरान 605 किसानों की मौत हुई है.

यानी इस दावे पर यकीन करें तो किसान आंदोलन में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हाल में लखीमपुर खीरी में भी आंदोलन के दौरान कई किसान दुर्भाग्यूपर्ण तरीके से मारे गए थे.