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अखिलेश से रार-BJP में जाने पर सस्पेंस बरकरार! बहुत कुछ कहती है शिवपाल की खामोशी

मुलायम सिंह यादव परिवार के मतभेद ही नहीं बल्कि मनभेद एक बार फिर से उभरने लगे हैं. यूपी चुनाव में करारी हार के बाद एक बार फिर से चाचा-भतीजे यानी अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में दूरियां बढ़ने लगी हैं. ऐसे में उनके बीजेपी में जाने की चर्चाएं तेज हैं, लेकिन शिवपाल यादव ने पूरी तरह से खामोशी अख्तियार कर रखा है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासत ने प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को करीब लाकर खड़ा कर दिया था, लेकिन नतीजे आने के साथ ही चाचा-भतीजे के बीच फिर से दूरियां बढ़ने लगी हैं. ऐसे में शिवपाल यादव की बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई करीब 20 मिनट की मुलाकात ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. शिवपाल के बीजेपी में जाने की चर्चाएं पिछले दो दिनों से हो रही, लेकिन न तो शिवपाल की ओर से और न ही उनकी पार्टी की तरफ से इसका खंडन किया गया. ऐसे में शिवपाल की चुप्पी आखिर क्या बयां कर रही है?

योगी और शिवपाल की मुलाकात

शिवपाल यादव बुधवार को विधायक पद की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात करने पहुंच गए थे. शिवपाल ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया था, लेकिन सीएम ने जिस तरह फौरन बाद स्वतंत्र देव सिंह सहित संगठन के बड़े नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया था. ऐसे में सियासी गलियारों में शिवपाल के बीजेपी में जाने की चर्चाएं तेज हो गई थी. यह भी खबर आई कि शिवपाल अगर बीजेपी का दामन थामते हैं तो पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है.

दरअसल, सपा में शिवपाल यादव के लिए फिलहाल कुछ नहीं बचा है. अखिलेश यादव खुद नेता विपक्ष बन चुके हैं और पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को तो बनाएंगे नहीं. ऐसे में सिर्फ विधायक बने रहना शिवपाल यादव को मंजूर नहीं. ऐसी भी चर्चा है कि शिवपाल यादव न सिर्फ अलग सियासी रास्ता ढूंढ रहे हैं बल्कि उस दिशा में अपने कदम भी बढ़ा चुके हैं.

बीजेपी में जाने की चर्चा को बल मिला

शिवपाल यादव की बुधवार को मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात ने सियासी चर्चा को बल दे दिया. शिवपाल के बीजेपी में जाने की अटकलों को इसलिए भी हवा मिल रही है, क्योंकि न तो उनकी ओर से और न ही उनकी पार्टी की ओर से इसका खंडन किया गया. इससे पहले 2017 से 2022 के बीच शिवपाल जब-जब सीएम योगी से मिलते थे तब-तब उनके बीजेपी में जाने की अटकलें लगाई जाने लगती थी, लेकिन हर बार उनकी ओर से खंडन कर दिया जाता था. इस बार शिवपाल और उनकी पार्टी दो दिनों से चुप्पी साधे हुए है.

बीजेपी में शिवपाल यादव के जाने के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं, क्योंकि शारदा प्रताप शुक्ला, शिव कुमार बेरिया, हरिओम यादव, अपर्णा यादव सहित उनके कई करीबी बड़े नेता पहले ही बीजेपी का दामन थाम जा चुके हैं. वहीं, शिवपाल यादव ने विधायक पद की शपथ लेने के बाद बुधवार को मीडिया से बात करते हुए बस इतना कहा था, ‘समय आने पर सब बताऊंगा इंतजार कीजिए.’

शिवपाल क्यों चुप्पी अख्तियार किए हुए हैं?

बीजेपी में शामिल होने की अटकलों पर मीडिया से बात करते हुए शिवपाल यादव ने कहा, ‘ये उचित समय नहीं है और जब उचित समय होगा तो हम आपको बुला लेंगे, सब बता देंगे.’ इसके बाद जब शिवपाल यादव से पूछा गया कि उनके सारे समर्थक उनकी तरफ नजरें जमाए हुए हैं, ऐसे में वे अपने समर्थकों को क्या संदेश देना चाहेंगे? इस पर उन्होंने कहा, ‘आप लोग परेशान न हों, जब प्रेस कॉन्फेंस बुलाएंगे तो बता देंगे.’

शिवपाल यादव सीधे तौर पर कुछ भी कहने से इनकार करते रहे. राज्यसभा जाने की अटकलों पर भी उन्होंने केवल इतना कहा, ‘अभी हम कुछ बता ही नहीं सकते, बोल ही नहीं सकते हैं, जब बोलेंगे तो मीडिया को बुला लेंगे.’ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवपाल यादव इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कराया जाए या एनडीए के सहयोगी के तौर पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया जाए.

दरअसल, शिवपाल यादव और सपा के बीच गठबंधन टूटने के कगार पर है. इसकी पटकथा उसी दिन लिख दी गई थी, जब सपा ने विधायक दल की बैठक में शिवपाल यादव को नहीं बुलाया था. ऐसे में सपा ने 29 मार्च को सहयोगी दलों की बैठक में जब उन्हें न्योता दिया गया तो बैठक में शामिल होने की जगह शिवपाल यादव इटावा में आयोजित भगवत कथा समारोह में शामिल हुए. इसके बाद दूसरे दिन आकर विधायक पद की शपथ ली और सीधे मुख्यमंत्री के पास पहुंच गए. ऐसे में शिवपाल ने अपने लिए सियासी राह तलाश लिया है. इसीलिए उन्होंने कहा कि वक्त आने पर बताएंगे और फिलहाल चुप्पी अख्तियार कर रखी है, जिससे सपा से लेकर अखिलेश तक की चिंता को बढ़ा सकता है.