प्रदोष व्रत हर महीने की दोनों त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इसका सोमवार के दिन पड़ना बहुत ही शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी कि प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है. सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहते हैं. इस दिन व्रत करने और कुछ खास उपाय करने से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मान्यता है कि ये व्रत रखने से व्यक्ति को न केवल समस्त बाधाओं और कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिलता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 5 दिसंबर 2022, सोमवार की सुबह 5 बजकर 57 मिनट से प्रांरभ होकर 6 दिसंबर की सुबह 6 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. वहीं सोम प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त, प्रदोष काल 5 दिसंबर की शाम 5 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
सोम प्रदोष का पूरे नियम के साथ व्रत रखना और पूजन करना बहुत लाभ देता है. प्रदोष व्रत में सुबह स्नान के बाद शिव जी की बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगा जल आदि से तो पूजा करनी ही चाहिए. पूरे दिन के निर्जला उपवास के बाद शाम को फिर से स्नान करके प्रदोष काल में पूजा करनी चाहिए और प्रदोष व्रत की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए. तभी व्रत का पूरा फल मिलता है. भगवान शिव और माता पार्वती सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
– रोग से मुक्ति पाने के लिए सोम प्रदोष की प्रदोष काल वाली पूजा में सफेद चंदन और गंगाजल मिलाकर तैयार किया गया लेप शिवलिंग पर लगाएं. साथ ही गाय के घी का दीपक जलाएं. भगवान शिव से सारी बीमारियां दूर करके सेहतमंद जिंदगी देने की प्रार्थना करें.
– यदि नौकरी नहीं मिल रही है या सरकारी नौकरी पाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है तो जातक को सोम प्रदोष को प्रदोष काल मुहूर्त में शिवलिंग का कच्चा दूध मिश्रित जल से अभिषेक करें. फिर शुद्ध चन्दन का इत्र अर्पण करें. देसी घी का दीया जलाएं. फिर भगवान शिव और माता पार्वती से जल्द नौकरी दिलाने की प्रार्थना करें.