महाराष्ट्र में उद्धव के तख्तापलट के बाद से शिंदे और उद्धव के बीच बालासाहेब की विरासत की जंग हावी रही है। बीजेपी और एकनाथ शिंदे की जोड़ी ने इसमें नया कदम उठाया है।
दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के नाम पर पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग के पहले चरण का उद्घाटन किया। इसका नामकरण शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के नाम पर किया गया है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि महाराष्ट्र में उद्धव के तख्तापलट के बाद से शिंदे और उद्धव के बीच बालासाहेब की विरासत की जंग हावी रही है। बीजेपी और एकनाथ शिंदे की जोड़ी ने इसमें नया कदम उठाया है। समृद्धि महामार्ग के नामकरण की कहानी भी काफी दिलचस्प है। नामकरण का पहला प्रस्ताव उद्धव कार्यकाल में शिंदे ने ही उठाया था। जो पारित भी हुआ लेकिन, बाजी बीजेपी के हाथ लगी।
गलियारों में यह भी चर्चा है कि एक्सप्रेसवे का नाम बालासाहेब रखने के पीछे बीजेपी का डैमेज कंट्रोल भी है। हाल ही में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के साथ-साथ राज्यपाल बीएस कोश्यारी और भाजपा के कुछ सदस्यों की टिप्पणी ने पार्टी के लिए शर्मिंदगी पैदा कर दी है।
एकनाथ शिंदे और भाजपा इस वक्त महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के रूप में काम कर रही है। दोनों खेमों को उम्मीद है कि समृद्धि महामार्ग का नामकरण ‘जैविक संतान बनाम वैचारिक विरासत’ के तर्क में उनके स्टैंड को मजबूत करेगा। जब से शिवसेना में विद्रोह शुरू हुआ है। शिंदे के लिए बीजेपी को साथ लेकर बालासाहेब की विरासत को आगे बढ़ाना कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
नामकरण की दिलचस्प कहानी
समृद्धि महामार्ग के नामकरण के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। नागपुर-मुंबई कॉरिडोर का ख्याल देवेंद्र फडणवीस का ही बताया जाता है। उन्होंने 2014 और 2019 के बीच सीएम के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान परियोजना को आगे बढ़ाया। उधर, लोक निर्माण मंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे ने पहली बार नवंबर 2018 में फडणवीस को प्रस्ताव दिया था कि समृद्धि महामार्ग, जिसे मूल रूप से कहा जाता था, का नाम बाल ठाकरे के नाम पर रखा जाए। जब उद्धव के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने पदभार ग्रहण किया, तो उसने प्रस्ताव का पालन किया और दिसंबर 2019 में औपचारिक रूप से बालासाहेब के नाम पर गलियारे का नामकरण करने का प्रस्ताव पारित किया।
डैमेज कंट्रोल कैसे
भाजपा ऐसे समय में समृद्धि महामार्ग को साध रही है जब महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद चरम पर है। इसके अलावा राज्यपाल बीएस कोश्यारी और भाजपा के कुछ सदस्यों की टिप्पणी ने पार्टी के लिए शर्मिंदगी पैदा कर दी है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मोदी द्वारा शिंदे की पीठ थपथपाना और शिंदे को ‘लोकप्रिय’ बताना भी इसी तरह का कदम है है। शिंदे का दावा है कि जिस रग से ‘बालासाहेबंची’ शिवसेना चलती है, वह उनके खून में है। देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर शिंदे और पीएम मोदी ने मराठियों को यह संदेश देने की कोशिश की कि यह बालासाहेब की कल्पना थी।