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Swami Vivekananda Jayanti: गीता पढ़ने की जगह फुटबॉल खेलो… जब स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को दी थी यह सलाह

Swami Vivekananda Jayanti: वेदांत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है। सनातन धर्म और आध्यात्म को लेकर दिए गए उपदेशों के लिए उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी प्रसिद्धि हासिल की।

वेदांत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है। सनातन धर्म और आध्यात्म को लेकर दिए गए उपदेशों के लिए उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी प्रसिद्धि हासिल की। उन्होंने युवाओं को सनातन धर्म की सही और सटीक जानकारी अपने उपदेशों से दी। उनकी जयंती को भारत में युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अमेरिका के शिकागो में 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में जो उन्होंने अपना संबोधन दिया था, उसकी चर्चा आज भी की जाती है। उन्होंने अपने भाषण से पश्चिमी देशों को भारतीय सभ्यता के बारे में समझाया था।

स्वामी विवेकानंद राकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। उन्हें फुटबॉल का प्रेमी भी माना जाता है। वह एकबार एक युवा और बीमार दिखने वाले लड़को को जीवन का ज्ञान दे रहे थे। वह युवा अमर क्लासिक का अध्ययन कर आध्यात्मिकता प्राप्त करना चाहता था। वह मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए उनके पास आया था। इस दौरान उन्होंने उस युवा को उपचार के लिए अपने घर ले जाने की कोशिश की थी। उनका मानना था कि शरीर और दिमाग मजबूत रहेगा तो वह आध्यात्म को अपने जीवन में आत्मसात कर सकेगा। उस युवा को उन्होंने कहा था, “आप भगवद गीता का अध्ययन करने की तुलना में अगर फुटबॉल खेलते हो तो स्वर्ग के अधिक निकट होगे।” उनके इस कथन को ‘द इनर वॉइस’ ने विश्व कप फुटबॉल के संबंध में एक लेख में छापा था।

विवेकानंद ने कहा था, ”सबसे पहले हमारे युवाको को मजबूत होना चाहिए। धर्म बाद में आता है। मेरे नौजवान साथियों, मजबूत बनो। यही मेरी आपको सलाह है। आप गीता अध्ययन की तुलना में फुटबॉल खेलने पर स्वर्ग के अधिक निकट होगे। ये हैरान करने वाले शब्द हैं, लेकिन मैं आपसे यह इसलिए कहना चाहता हूं, क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूं। मुझे पता है कि जूता कहां चुभता है। मैंने थोड़ा अनुभव प्राप्त किया है। आप अपने मजबूत बाइसेप्स और मजबूत मांसपेशियों से गीता को बेहतर समझ पाएंगे। आप अपने अंदर थोड़े मजबूत रक्त के साथ कृष्ण की शक्तिशाली प्रतिभा और शक्तिशाली शक्ति को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। आप उपनिषदों को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे और आत्मा की महिमा को तब समझ पाएंगे जब आपका शरीर आपके पैरों पर मजबूती से खड़ा होगा और आप पुरुषों की तरह महसूस करेंगे।”