कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ढोल बजाया। इससे पहले उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने सुशासन और सद्भाव का वो रास्त चुना है जो सदियों पहले भगवान बस्वेश्वरा ने देश-दुनिया को दिया था। भगवान बस्वेश्वरा ने अनुभव मंडपम जैसे मंच से सामाजिक न्याय और लोकतंत्र का एक मॉडल दुनिया को दिया। समाज के हर भेद-भाव से ऊपर उठकर सबके सशक्तिकरण का मार्ग उन्होंने हमें दिखाया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दलित, पिछड़े, आदिवासी यही सबसे बड़ा वर्ग था जिसने कभी बैंक का दरवाजा भी नहीं देखा था। जनधन बैंक खातों ने करोड़ों वंचितों को बैंकों से जोड़ा है। पहले की सरकार कुछ ही वन उपजों पर MSP देती थी जबकि हमारी सरकार 90 से अधिक वन उपजों पर MSP दे रही है। कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद अब इसका लाभ भी तांडा में रहने वाले सभी परिवारों को मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिला कल्याण के लिए संवेदनशील हमारी सरकार आज नए-नए सेक्टर्स में उनके लिए अवसर बना रही है। आदिवासी कल्याण के लिए संवेदनशील हमारी सरकार आदिवासियों के योगदान और उनके गौरव को राष्ट्रीय पहचान देने का काम कर रही है। दिव्यांगों के अधिकारों और उनकी सुविधाओं से जुड़े अनेक प्रावधान भी बीते 8 वर्षों में किए गए हैं।
घुमंतू लंबानी जनजातियों के लिए ‘हक्कू पत्र’ वितरण अभियान की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तरी कर्नाटक के पांच जिलों में घुमंतू लंबानी (बंजारा) जनजाति के 52,000 से अधिक सदस्यों के लिए जमीन का मालिकाना हक देने वाले ‘हक्कू पत्र’ वितरण अभियान की शुरुआत की। जिले के मालखेड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बंजारा (लंबानी घुमंतू) समुदाय के लोगों के लिए एक बड़ा दिन है क्योंकि ‘हक्कू पत्र’ के माध्यम से 50,000 से अधिक लोगों को उनके घर का हक मिला है।
पीएम मोदी ने इस मौके पर पांच घुमंतू जोड़ों को पांच ‘हक्कू पत्र’ वितरित किए। उन्होंने कहा कि यह ‘हक्कू पत्र’ कलबुर्गी, बीदर, यादगिर, रायचूर और विजयपुरा जिलों में टांडा (लंबानी समदुाय के रिहायशी स्थल) में रहने वाले हजारों लोगों के भविष्य को सुरक्षित करेगा। कलबुर्गी, यादगिर, रायचूर, बीदर और विजयपुरा जिलों में लगभग 1,475 गैर-पंजीकृत बस्तियों को नए राजस्व गांवों के रूप में घोषित किया गया है।