गुजरात के मोरबी पुल हादसा मामले में आरोपी ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक (MD) जयसुख पटेल ने मंगलवार को मोरबी में सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। इससे पहले सीजेएम कोर्ट ने जयसुख पटेल के खिलाफ वॉरंट जारी किया था। इससे पहले गिरफ्तारी से बचने के लिए जयसुख पटेल ने मोरबी की सत्र अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।
पिछले साल 30 अक्टूबर को मोरबी में मच्छु नदी पर बना पुल गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुजरात पुलिस नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसमें ओरेवा ग्रुप के चार कर्मचारी शामिल थे। इनमें कंपनी के दो मैनेजर हैं और दो टिकट क्लर्क हैं।
जयसुख पटेल का नाम एफआईआर में भी बतौर आरोपी दर्ज है। जयसुख पटेल ने बीती 20 जनवरी को मोरबी की सेशन कोर्ट में याचिका दायर कर अग्रिम जमानत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। गुजरात पुलिस ने बीते 27 जनवरी को ही मोरबी सस्पेंशन ब्रिज हादसा मामले में 1,262 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में भी ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल का नाम बतौर आरोपी शामिल किया गया है।
गुजरात हाईकोर्ट ने जारी किया था जयसुख पटेल की कंपनी को नोटिस
गुजरात हाईकोर्ट भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने पिछले महीने मोरबी सस्पेंशन ब्रिज का रखरखाव और संचालन करने वाली कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) को नोटिस जारी किया था। इस कार्यवाही में कंपनी को प्रतिवादी बनाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि कंपनी को हादसे से हुई क्षति के भुगतान के लिए उत्तरदायी बनाया जाए। एक याचिका में दावा किया गया है कि अजंता कंपनी ने पुल की मरम्मत के लिए देवप्रकाश सॉल्यूशंस के साथ अनुबंध किया था। सरकार को जानकारी दिए बिना या फिटनेस प्रमाणपत्र हासिल किए बिना दीपावली की छुट्टियों के दौरान पुल को लोगों के लिए खोल दिया गया।