तुर्किये के शहर कहरमनमारस में अली सगिरोग्लू कहते हैं, ‘मैं अपने भाई को खंडहर से वापस नहीं ला सकता। मैं अपने भतीजे को वापस नहीं ला सकता। इधर-उधर देखिए… यहां कोई सरकारी अधिकारी नहीं है।’ सगिरोग्लू आगे कहते हैं, ‘दो दिनों से हमने यहां आसपास सरकार को नहीं देखा है…बच्चे ठंड से ठिठुर रहे हैं। सर्दियों के तूफान ने कई सड़कों को उजाड़ दिया है। उनमें से कुछ भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गए।’
23 करोड़ से ज्यादा लोग हो सकते हैं प्रभावित
ताजा आंकड़े बताते हैं कि तुर्किये में साढ़े छह हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं और सीरिया में कम से कम डेढ़ हजार लोगों की जान जा चुकी है। कुल मिलाकर अब तक करीब आठ हजार मौतें हुईं हैं। ऐसी आशंका हैं कि मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक दिन पहले ही अनुमान लगाया है कि मृतकों की संख्या आठ गुना अधिक हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर भूकंप से 23 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हो सकते हैं।
रातभर लोग हाथों से हटाते रहे मलबे
हजारों धराशायी इमारतों के मलबे में दबे दसियों हजार लोगों की टूटती सांस के लिए हर बीत रहा पल बेशकीमती है। इन टूटती सांसों को जिंदगी देने में जुटे बचावकर्मी जीजान से कोशिश कर रहे हैं। बर्फीली रात में सैकड़ों बचावकर्मी हाथों से भी मलबा हटाकर लोगों की तलाश में जुटे रहे हैं। तुर्की और सारिया में स्थानीय और विदेशी बचाव दल शून्य से नीचे के तापपमान के बीच ढही टनों वजनी छतों और दीवारों में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए समय से संघर्ष कर रहे हैं।
कई हजार लोगों का तो पता ही नहीं है, जो नींद में ही मौत की नींद सो गए। मलबा साफ होने के साथ बच्चों और अन्य परिवारीजनों के शव निकलते देखना दिल तोड़ देता है। एपिसेंटर के करीब बसे मालट्या में 5 लाख लोग रहते हैं। इलाके में कई सौ इमारतें पूरी तरह से तबाह हो चुकी हैं। वहीं, मलबे पर बर्फबारी के कारण बचाव कार्य ठीक से नहीं हो पा रहा है।
भूकंप के चलते 10 फीट तक खिसक गया तुर्की
इटली के भूकंप विज्ञानी डॉ. कार्लो डोग्लियोनी ने इस बारे में डिटेल जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि सीरिया की तुलना में तुर्की की टेक्टोनिक प्लेट्स 5 से 6 मीटर तक खिसक सकती है। उन्होंने आगे बताया कि असल में तुर्की कई मेन फॉल्टलाइन पर स्थित है। यह एनाटोलियन प्लेट, अरेबियन प्लेट और यूरेशियाई प्लेट से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि यहां भूकंप आने का खतरा सबसे अधिक रहता है। वहां के मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि एनाटोलियन प्लेट और अरैबियन प्लेटके बीच की 225 किलोमीटर की फॉल्टलाइन टूट गई है।
सीरिया ने इस्राइल की मदद ठुकराई
सीरियाई सरकार समर्थक अखबार अल-वतन ने सोमवार को एक आधिकारिक स्रोत का हवाला देते हुए भूकंप राहत के लिए इस्राइल से मदद मांगे जाने के दावों को खारिज कर दिया। पड़ोसी देश तुर्किये में आए शक्तिशाली भूकंप में सीरिया के सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और एक हजार से अधिक लोग घायल हो गए। इस्राइल और सीरिया जैसे अरब देशों का विवाद काफी पुराना है। 1948 में अस्तित्व में आने के तुरंत बाद यहूदी देश को अपने पड़ोसी अरब देशों से युद्ध का सामना करना पड़ा था। 1967 में हुई छह दिनों की जंग तो पूरी दुनिया को याद है जिसमें इस्राइल ने अकेले मिडिल ईस्ट का नक्शा बदल दिया था।
खबरों की मानें तो इस्राइल ने पहले कहा था कि सीरिया ने उससे भूकंप राहत में सहायता के लिए मदद मांगी थी और वह इसके लिए तैयार है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने भूकंप प्रभावित सीरिया को मदद भेजने की मंजूरी दे दी है। लेकिन सीरिया के एक अधिकारी ने मदद मांगे जाने की खबरों से ही इनकार कर दिया। नेतन्याहू ने अपनी लिकुड पार्टी के सांसदों से कहा, ‘इस्राइल को ‘सीरिया के लिए मानवीय सहायता का अनुरोध एक राजनयिक स्रोत से प्राप्त हुआ है। मैंने इसे मंजूरी दे दी है।’
पहले से थी चेतावनी
तुर्किये दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंप क्षेत्रों में से एक है। देश का आखिरी 7.8-तीव्रता का झटका 1939 में आया था, जब पूर्वी एर्जिंकन प्रांत में 33,000 लोग मारे गए थे। 1999 में डुज के तुर्किये क्षेत्र में 7.4 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे। विशेषज्ञों ने लंबे समय से चेतावनी दी है कि एक बड़ा भूकंप इस्तांबुल को तबाह कर सकता है, जो 16 मिलियन लोगों के मेगालोपोलिस में जर्जर घरों से भरा हुआ है।
तुर्किये पहुंची भारत की चौथी फ्लाइट
भूकंप प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए भारत से राहत-बचाव की चौथी फ्लाइट बुधवार को तुर्किये में लैंड हुई। इसमें इंडियन आर्मी की 54 सदस्यीय मेडिकल टीम भी तुर्किये पहुंची है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थ भी पहुंचाया गया है।